lithium battery लिथियम ऑयन बैटरी

lithium battery  लिथियम ऑयन बैटरी

 

 

लिथियम ऑयन बैटरी

आज हर हाथ में मोबाइल फोन है और यह फोन आपके हर काम को करने में सक्षम है। आज फोन शानदार कैमरा, ताकतवर प्रोसेसर, बड़ी स्क्रीन, ज्यादा रैम और बड़ी मैमोरी से लैस है। जो आपके हर काम को निबटाने में सक्षम हैं। परंतु यह सभी हार्डवेयर तभी काम कर पाएंगे जब तक की फोन की बैटरी चल रही है। ठेठ शब्दों में कहा जाए तो हार्डवेयर में जान बैटरी की वजह से ही आती है। जानें लिथियम ऑयन बैटरी के बारे में सबकुछ, कैसे बना और किसने बनाई पहली बैटरी

बैटरी पावर

बिजली उत्पादन के कई श्रोतों में से एक बैटरी है। आपके घर में सरकार द्वारा जो बिजली पहुंचाई जाती है उसे ‘एसी’ अर्थात अल्टरनेटिंग करेंट कहते हैं। जबकि बैटरी के माध्यम से डायरेक्ट करेंट ‘डीसी’ का प्रवाह होता है। एसी में उच्च वोल्टेज बीजली सप्लाई मिलती है और यह चक्रनुमा प्रवाह में चलता है। उपर उठता है फिर नीचे गिरता है, फिर उठता है फिर गिरता है। इसी तरह यह चक्र चलता रहता है। वहीं डीसी का उपयोग साधरणतः कम वोल्टेज क्षमता के लिए किया जाता है। इसमें बीजली एक समान प्रवाह में चलती रहती है।

बैटरी तकनीक

बैटरी कई तकनीक और स्वरूप हैं। हर उपकरण के लिए आज एक अलग प्रकार की बैटरी का उपयोग किया जाता है। छोटे डिवायस के लिए छोटी बैटरी जिसका उपयोग टाॅर्च, चार्जर कैमरा और रेडियो सहित कई चीजों के लिए किया जाता है। वहीं बड़े उपकरणों के लिए बड़ी बैटरी होती है। जैसे गाड़ी, और इनवर्टर इत्यदि।

हैंड वॉच और छोटे खिलौनो में भी एक विषेश प्रकार की बैटरी का उपयोग होता है। छोटे से बटम आकार में पेश की गईं ये बैटरियां बहुत ही कम वोल्टेज की होती हैं। यदि हैंड वॉच और छोटे खिलौनो को छोड़ दें तो कुछ वर्ष पहले दो प्रकार की बैटरी का उपयोग होती थी। एक सुखा सेल और दूसरा गीला सेल। दोनों सेल में अम्ल से ही बीजली का उत्पादन होता है लेकिन सुखा सेल उपयोग खत्म होने के बाद कोई काम का नहीं होता है। जबकि पानी सेल को पुनः निर्माण में उपयोग किया जाता है। जहां तक बात मोबाइल है तो इन सब से हटकर एक विशेष तकनीक की बैटरी का उपयोग होता है। मोबाइल और कुछ कैमरों में लीथीयम बैटरी का उपयोग किया जाता है।

बैटरी से पहली रोशनी

बैटरी निर्माण का पहला श्रेय जाता है इटली के भैतिकविद अलेसांड्रो वोल्टा का। वर्ष 1792 में उन्होंने पहली बार इलेक्ट्रोकेमिकल सेल को पेश किया और 1800 ईसवी में उन्होंने पहली बैटरी का निर्माण भी किया। इसी वर्ष उन्होंने 50 वोल्ट के बैटरी पेश कि जिसमें इलेक्ट्रोकैमिकल को सीरीज में पेश किया गया था जिसे पाइल नाम दिया गया था। परंतु ये बैटरी बहुत दिनो तक बीजली उत्पादन में सक्षम नहीं थी।

वर्ष 1836 में जाॅन एफडेनियल ने डेनियल सेल का विकास किया। जिसमें बीजली उत्पादन के लिए जिंक सल्पफेट और काॅपर सेल्पफेट का उपयोग किया गया था। कम वोल्ट में यह बैटरी बहुत दिनों तक चलता था। 1860 में इसके उन्नत संस्करण को पेश किया गया जिसका उपयोग टेलीफोनी के लिए किया गया। 1859 में प्रफांस के वैज्ञानिक गास्टोन प्लानटे ने रिचार्जेबल बैटरी पेश की। 1866 लेकलांनचे कार्बन ने पहली बार सूखा सेल का प्रदर्शन किया और 1881 में कार्ल गसनेर ने व्यवसायीक तौर पर सूखा सेल को पेश कर दिया। 1901 में थाॅमस एल्वा एडिशन ने क्षारविशिष्ट आधारित बैटरी पर प्रयोग शुरू किया। इसके बाद बैटरी तकनीक में नित नए विकास होते रहे।

जहां तक लीथीयम बैटरी की बात है तो यह बहुत दिनों के बाद प्रयोग में आया। इसे आधुनिक बैटरी भी कहा जाता है। लीथीयम बैटरी पर पहली कोशिश एमएस विटिंघम द्वारा देखने को मिली। वर्ष 1970 में उन्होंने बीजली उत्पान के लिए टाइटेनियम सल्पफाइड और लिथियम मैटल का उपयोग किया था। यह पहला सफल प्रयोग कहा जा सकता है। हालांकि इसके बाद पूर्ण तरीके से बैटरी बनने में काफी समय लगा। 1980 में आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जॉन गूडेनफ और कोईची मिजुशीमा ने रिचार्जेबल ​लीथीयम बैटरी को दिखाया। जॉन गूडेनफ को लीथीयम बैटरी का फादर भी कहा जाता है। इस प्रयोग के बाद काफी प्रगति देखने को मिली। बीजली उत्पादन के लिए लीथीयम का उपयोग कई अन्य रसायन के साथ भी किया गया और अन्नतः 1991 में सोनी और असाही कासई द्वारा पहली लिथियम बैटरी को पेश किया गया। वहीं 1997 पहली बार लिथियम पाॅलिमर बैटरी पेश किए गए। मोबाइल में लिथियम आॅयन और लिथियम पाॅलिमर बैटरी का ही उपयोग होता है।

लिथियम आयन बैटरी

लिथियम आॅयन बैटरी रिचार्जेबल बैटरी श्रृंखला का ही एक कड़ी है। इसमें मुख्सयतः तिन तत्वों का संयोग हेाता है। नेगेटिव इलेक्ट्राॅड, पोजेटिव इलेक्ट्राॅड और इलेक्ट्राॅलाइट। बैटरी में कार्बन नेगेटिव इलेक्ट्राॅड के लिए उपयोग होता है। जबकि आॅक्साइड का उपयोग पोजेटिव इलेक्ट्राॅड के लिए किया जाता है। वहीं लिथियम साॅल्ड इलेक्ट्रोलाइट के लिए होता है। लिथियम बैटरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वोल्टेज की जरूरत के अनुसार इसके संयोग को बढ़ा और घटा सकते हैं। वहीं इसे एक छोटे से पैकेट में भी बना सकते हैं। यही वजह है कि मोबाइल, लैपटाॅप बौर टैबलेट जैसे इलेक्ट्राॅनिंक्स डिवायस में ध्ड़ल्ले से इसका प्रयोग हो रहा है। बोल चाल की भाषा में इसे ली-आॅन बैटरी कहा जाता है।

लिथियम पाॅलिमर बैटरी

लिथियम पाॅलिमर बैटरी में लिथियम आॅयन के समान तकनीक का ही उपयोग होता है। इसमें लिथियम के साथ ठोस पाॅलिथिन आॅक्साइड या पाॅलिएक्राॅनलियोनिट्रील का उपयोग किया जाता है। लिआॅन बैटरी के समान यह भी छोटे से पैकेज में बनाया जा सकता है और उपयोग में आसान भी होता है। साधरणतः बोल चाल में इसे ली-पो बैटरी नाम से जाना जाता है।

एमएएच

बैटरी लिथियम आयान हो या लिथियम पाॅलिमर। परंतु दोनों तकनीक में एमएएच की प्रयोग जरूर होता है। वास्तव में एमएएच इसके ताकत मापने का पैमाना है। बैटरी चार्ज को एंपियर आवर के माध्यम से मापा जाता है और छोटे डिवायस में चार्ज के लिए मिलि एंपियर आवर को पैमाना बनाया जाता है। एमएएच का आशय होता है- मिलि एंपियर आवर Milliamps Hour। 1मिलिएंपियर आवर एक एंपियर आवर का एक हजारवां भाग है। अर्थात 1एंपियर आवर = 1000 मिलिएंपियर। इस तरह एक बैटरी जितना ज्यादा एमएएच का होगा वह उतना ज्यादा बैटरी बैकअप देने में सक्षम होगा।

पावर बैंक

what is lithium ion battery and battery history
आज स्मार्टफोन के दौर में पावर बैंक का उपयोग काफी बढ़ गया है। इनमें भी ली—आॅन बैटरी का ही प्रयोग होता है लेकिन इन्हें इस तरह से डिजाइन किया गया होता है कि यह आपके फोन को चार्ज कर सकें। इन चार्जर को कंप्यूटर या लैपटाॅप के यूएसबी के माध्यम से चार्ज किया जा सकता है। साधारण बोल चाल की भाषा में इन्हें पावर बैंक कहा जाता है।व

बैटरी सम्बंधी कुछ सावधनियां

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मोबाइल में बैटरी न हो तो कुछ काम ही नहीं हो सकता लेकिन यदि बैटरी का उपयोग सही तरीके से न हो तो आपको आर्थिक या शारीरिक नुकसान दे सकता है। इसलिए जरूरी है कि मोबाइल का उपयोग सुरक्षित तरीके से हो। ये सावधनियां निम्न हैं-

1. मोबाइल को चार्ज करते समय काॅल न करें।
2. चार्जिंग के दौरान यदि बैटरी गर्म हो तो जल्द से जल्द चार्जिंग निकाल दें और सर्विस सेंटर से संपर्क करें।
3. यदि फोन की बैटरी फूल गई हो तो उसे तुरंत निकाल दें।
4. नए फोन की खरीदारी पर उसकी बैटरी को बगैर पूरी तरह से चार्ज हुए न निकालें।
5. ज्यादातर कोशिश करें की पूरी तरह बैटरी खत्म होने पर ही चार्जिंग में लगाएं।

लिथियम ऑयन बैटरी

लिथियम आयन बैटरी के बारे में

ये रिचार्ज करने योग्य बैटरियाँ हैं, जिनका ऊर्जा घनत्व उच्च होता है और इनका उपयोग सामान्यतः उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में किया जाता है.
इनमें इलेक्ट्रोड के रूप में धात्विक लिथियम के स्थान पर इंटरकैलेटेड (क्रिस्टल जालक की विभिन्न परतों के मध्य व्यवस्थित) लिथियम यौगिक का उपयोग किया जाता है और बैटरी के प्रति किलोग्राम में 150 वाट-घंटे विद्युत् भंडारण करने की क्षमता होती है.
लेड एसिड बैटरी को उसके सम्पूर्ण जीवन काल में केवल 400-500 बार चार्ज किया जा सकता है जबकि लिथियम-आयन बैटरी को उसके सम्पूर्ण जीवनकाल में 5000 या उससे अधिक बार चार्ज किया जा सकता है.

ग्राफीन आधारित सुपरकैपेसिटर के बारे में

CR123A Primary Lithium Battery. 16-year-OEM-manufacturer Primary Lithium Battery.
यह अपशिष्ट/परित्यक्त लिथियम आयन बैटरी द्वारा उत्पादित किया जा रहा है.
लिथियम आयन बैटरी से प्राप्त ग्रफीन ऑक्साइड ने कम विद्युत् धारा पर उच्च विशिष्ट धारिता प्रदर्शित की और यह एक नवीन ऊर्जा भंडारण प्रणाली है जो उच्च ऊर्जा एवं विद्युत् घनत्व को संयोजित करती है.
इस प्रक्रिया में ऑक्सीकरण द्वारा ग्रेफाइट का ग्राफीन ऑक्साइड में रूपांतरण और बाद में अपशल्कन होता है, जिससे यह अपचयित ग्रफीन ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है.
विंड टरबाइन पिच कंट्रोल, रेल, ऑटोमोबाइल, भारी उद्योग, दूरसंचार प्रणाली और मेमोरी बैकअप में सुपरकैपेसिटर का अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है.

लिथियम आयन बैटरी का महत्त्व

ऊर्जा भंडारण प्र्लाली में अनुप्रयोग – इसमें श्रवण सहायक उपकरणों से लेकर कंटेनर आकार की बैटरी द्वारा गाँवों के संकुलों तक विद्युत् वितरण, इलेक्ट्रिक वाहन (2 व्हीलर, 3 व्हीलर, 4 व्हीलर और बस), प्रसंस्करण उद्योग में पावरिंग रोबोट आदि शामिल हैं. लिथियम-आयन बैटरी भौतिक तारों की आवश्यकता के बिना अर्थात् वायरलेस माध्यम से किसी भी विद्युत् अनुप्रयोग को ऊर्जा प्रदान कर सकती है.
इनमें व्यापक पैमाने पर उत्पादन के लिए उचित आपूर्ति शृंखला और विनिर्माण तकनीक के साथ लागत में कमी करने की क्षमता है.
लिथियम आयन बैटरी से सम्बंधित प्रौद्योगिकी नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन, मेक इन इंडिया और ऊर्जा सृजन के माध्यम से ऊर्जा विकल्पों में स्वच्छ ऊर्जा के अंश को बढ़ाने में सहायता कर सकती है.

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