Kite Information in Hindi पतंग
Kite Information in Hindi
पतंग एक धागे के सहारे उड़ने वाली वस्तु है जो धागे पर पडने वाले तनाव पर निर्भर करती है। पतंग तब हवा में उठती है जब हवा (या कुछ मामलों में पानी) का प्रवाह पतंग के ऊपर और नीचे से होता है, जिससे पतंग के ऊपर कम दबाव और Kite के नीचे अधिक दबाव बनता है। यह विक्षेपन हवा की दिशा के साथ क्षैतिज खींच भी उत्पन्न करता है। पतंग का लंगर बिंदु स्थिर या चलित हो सकता है।
पतंग आमतौर पर हवा से भारी होती है, लेकिन हवा से हल्की पतंग भी होती है जिसे हैलिकाइट कहते है। ये पतंगें हवा में या हवा के बिना भी उड़ सकती हैं। हैलिकाइट पतंगे अन्य पतंगों की तुलना में एक अन्य स्थिरता सिद्धांत पर काम करती हैं क्योंकि हैलिकाइट हीलियम-स्थिर और हवा-स्थिर होती हैं।
पतंग एक महज आसमान में उड़ने वाला कागज का टुकड़ा ही नही। यह वह है जो जिन्दगी जीने का ढंग सिखाती है। पतंग अपने सतरंगी रंगो से जीवन के सम्पूर्ण रंग बताती है और कहती है कि जिंदगी एक कागज का टुकड़ा है जो बुलदिंयों के आसमां को छूना चाहती है। जब वह अपनी मंजिल की सीढ़ियाँ चढ़ने लगती हैं। तब आसमान की अन्य पतंगें उसे रोकती हैं और उसे काटना चाहती हैं। उस समय पतंग के चारो ओर समस्याओं का घेरा बन जाता हैं। वह समस्याओं को काटते हुए आगें बढ़ती हैं। तो उच्चाई पर चलती हवा उसका स्वागत करती हैं। तब उच्चाई पर पहुची अन्य पतंगें उसको विरोध करती हैं और डराती हैं। नीचे पायदान में उड़ रही पतंगें उससे घृणा करती हैं और उसे काटने व गिराने का असंभव प्रयास करती हैं। वह सबकी प्रवाह किये बगैर आसमां की अंंनत उच्चाइयों तक उड़ती जाती हैं। वह अपने विश्वास, हौसलों व परिवार रूपी डोरी के कारण ही आसमां में उड़ पाती हैं। उसे मालूम हैं कि यदि वह डोरी उसका साथ नही देती तो वह बिलकुल भी नही उड़ पाती और कचरे में पड़ी होती।
इतिहास
माना जाता है कि पतंग का आविष्कार ईसा पूर्व तीसरी सदी में चीन में हुआ था। दुनिया की पहली पतंग एक चीनी दार्शनिक “हुआंग थेग”ने बनाई थी। इस प्रकार पतंग का इतिहास लगभग २,३०० वर्ष पुराना है। पतंग बनाने का उपयुक्त सामान चीन में उप्लब्ध था जैसे:- रेशम का कपडा़, पतंग उडाने के लिये मज़बूत रेशम का धागा और पतंग के आकार को सहारा देने वाला हल्का और मज़बूत बाँस।
पतंग भारत समेत दुनिया के अनेक देशों में एक शौक का माध्यम बनने के साथ-साथ आशाओं, आकांक्षाओं और मान्यताओं को पंख भी देती है।
kite उड़ाने का शौक चीन, कोरिया और थाइलैंड समेत दुनिया के कई अन्य भागों से होकर भारत में पहुंचा। देखते ही देखते यह शौक भारत में एक शगल बनकर यहां की संस्कृति और सभ्यता में रच-बस गया। खाली समय का साथी बनी kite को खुले आसमान में उड़ाने का शौक बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के सिर चढ़कर बोलने लगा। भारत में पतंगबाजी इतनी लोकप्रिय हुई कि कई कवियों ने इस साधारण सी हवा में उड़ती वस्तु पर भी कविताएँ लिख डालीं।
ज्यादातर लोगों का मानना है कि चीनी यात्रि F Hien और Huin Tsang पतंग को भारत में लाए थे. यह टिशू पेपर और बांस के ढाचे से बनी होती है. लगभग सभी पतंगों का आकार एक जैसा ही होता है. kite उड़ाने का खेल भारत में काफी लोकप्रिय है. हमारे देश के विभिन्न भागों में कुछ विशेष त्यौहार एवं वर्ष के कुछ महीने पतंगबाजी या पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता से संबंधित हैं.
एक समय में मनोरंजन के प्रमुख साधनों में से एक, लेकिन समय के साथ-साथ पतंगबाज़ी का शौक भी अब कम होता जा रहा है। एक तो समय का अभाव और दूसरा खुले स्थानों की कमी जैसे कारणों के चलते इस कला का, जिसने कभी मनुष्य की आसमान छूने की महत्वकांक्षा को साकार किया था, अब इतिहास में सिमटने को तैयार है। अब तो केवल कुछ विशेष दिनों और पतंगोत्सवों में ही पतंगों के दर्शन हो पाते हैं।
पतंग उत्सव
राजस्थान में तो पर्यटन विभाग की ओर से प्रतिवर्ष तीन दिवसीय पतंगबाजी प्रतियोगिता होती है जिसमें जाने-माने पतंगबाज भाग लेते हैं। राज्य पर्यटन आयुक्त कार्यालय के सूत्रों के अनुसार राज्य में हर वर्ष मकर संक्रांति के दिन परंपरागत रूप से पतंगबाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें राज्य के पूर्व दरबारी पतंगबाजों के परिवार के लोगों के साथ-साथ विदेशी पतंगबाज भी भाग लेते हैं।
इसके अतिरिक्त दिल्ली और लखनऊ में भी पतंगबाजी के प्रति आकर्षण है। दीपावली के अगले दिन जमघट के दौरान तो आसमान में पतंगों की कलाबाजियां देखते ही बनती हैं। दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भी पतंग उडा़ने का चलन है।
आइये देखते है भारत में कब-कब पतंग उड़ाई जाती हैं
1. बसंत पंचमी में पतंग उड़ाई जाती हैं
पंजाब क्षेत्र में बसंत पतंग महोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है. यह बसंत मौसम में आता है, इसलिए इसे बसंत पंचमी भी कहते हैं.Kite को धागा या मांझे से उड़ाया जाता हैं. इस त्यौहार के दौरान कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है. इसमें कुछ जज भी होते है, जो यह तय करते है कि, किसकी पतंग सबसे सुन्दर है, बड़ी है और सबको हराकर आसमान को छु रही हैं. यह त्यौहार हरियाली और रंगीन पतंगों के रंगों के साथ रंग और खुशियाँ लाता है.
2. उत्तरायण या मकर संक्रान्ति पतंग महोत्सव
उत्तरायण या मकर संक्रान्ति को यह त्यौहार जोर शोर से मनाया जाता है. गुजरात में संक्रान्ति से एक महीने पहले लोग अपने घरों में पतंगों को बनाना शुरू कर देते है. भारतीय कैलेंडर के अनुसार, उत्तरायण या मकर संक्रान्ति का त्यौहार उस दिन को चिह्नित करता है जब सर्दी गर्मी में बदल जाती है, अर्थार्त बसंत का आगमन होता है. यह किसानों के लिए एक संकेत है कि सूरज वापस आ गया है और उस फसल का मौसम आ रहा है. गुजरात में और कई अन्य राज्यों में जैसे कि बिहार,पश्चिम बंगाल, राजस्थान और दिल्ली में भी इस त्यौहार को मनाया जाता है. लोग अपने दोस्तों, परिवारों और रिश्तेदारों के साथ, छतों पर इकट्ठा होते हैं और साथ में पतंगबाजी करते हैं. गुजरात में अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव का भी आयोजन होता है और कई देशों के लोग इसमें भाग लेते हैं. डेजर्ट पतंग महोत्सव उत्तरायण के दौरान कई सालों से जयपुर में आयोजित किया जा रहा है.
3. दक्षिण भारत में पतंग पोंगल पर्व में उड़ाई जाती हैं
दक्षिण भारत में पोंगल को मनाने के लिए, लोग Kite उड़ना पसंद करते हैं. कुछ समुद्र तट पर पतंगबाजी करने का आनंद लेते हैं. लोग ट्यूब-लाइट को तोड़कर, उसे पीसकर, चावल के पानी के साथ मिलाकर Kite के धागे पर लगाते हैं उसको पैना करने के लिए ताकि दुसरे की पतंग को काट सके. पतंगों को अलग-अलग तरीकों से सजाया जाता हैं किसी में फिल्म स्टार्स और कार्टून की छवियाँ भी होती हैं.
4. दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस पर पतंग उड़ाई जाती हैं
दिल्ली में 15 अगस्त को पतंगों को उड़ाया जाता हैं. यह सबसे लोकप्रिय गतिविधियों और परंपरा में से एक है जो कि दिल्लीवासियों द्वारा एक लंबे समय से की जा रही है. ऐसा कहा जाता है कि पतंग उडाना स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है. 1927 में साइमन कमीशन के विरोध में “गो बैक साइमन” का नारा दिया गया था. उस समय देशभक्तों ने पतंगों पर “गो बैक साइमन” लिख कर उड़ाया था और विरोध किया था. तब से स्वतंत्रता दिवस के दिन पतंग उडाना एक परंपरा बन गई है.
5. दिल्ली में पतंग उड़ाना एक त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है
दिल्ली में जनवरी के महीने में पतंग यानी फ्लाइंग फेस्टिवल मनाया जाता हैं. पुरे देश से लोग इस त्योहार में हिस्सा लेते हैं. यह दिल्ली में आयोजित एक विशेष पतंग उदय उत्सव है. इस त्योहार को दिल्ली के कनॉट प्लेस में पालिका बाजार के पास मनाया जाता हैं. इस फ्लाइंग फेस्टिवल में दो अलग-अलग प्रमुख स्पर्धाएँ आयोजित की जाती है: फाइटर काईट फेस्टिवल (Fighter Kite Competition)और सोम्बर डिस्प्ले फ्लाइंग (somber Display Flying). जीतने वाले को रोमांचक पुरस्कार और ट्राफियां प्रदान की जाती हैं. यहाँ पर प्रतिभागियों के लिए डिनर का भी आयोजन किया जाता हैं.