लिम्फोमा कैंसर
लिम्फोमा कैंसर की पूरी जानकारी
लिम्फोमा कैंसर की पूरी जानकारी : Lymphoma कैंसर दुनिया में तेजी से फैल रहा है। यह एक घातक किस्म का कैंसर है। नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के मुताबिक, सिर्फ 2013 में ही लिम्फोमा के 69,740 मामले सामने आए थे। लिम्फोमा एक तरह का ब्लड कैंसर होता है। अगर सही समय पर इसके लक्षणों के बारे में पता चल जाए तो इससे बचा जा सकता है।
क्या है लिम्फोमा?
लिम्फोमा एक ऐसा कैंसर होता है जो सबसे पहले इम्यून सिस्टम के लिम्फोसाइट सेल्स में फैलता है। ये सेल्स यानी कोशिकाएं इंफेक्शन से लड़ती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं। ये कोशिकाएं लिम्फ नोड्स, बोन मैरो, स्प्लीन और थायमस में उपस्थित होती हैं। लिम्फोमा कैंसर शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इसमें लिम्फोसाइट्स पूरी तरह बदल जाते हैं और वे तेजी से बढ़ने लगते हैं।
मानव शरीर के इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को लिम्फोकेट्स और जो कोशिकाएं कैंसर से ग्रसित होती हैं उन्हें लिम्फोमा या लिम्फ कैंसर कहते हैं। कैंसर इन कोशिकाओं को प्रभावित करता है और शरीर की अन्य बीमारियों के लिए प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ब्लड कैंसर का सबसे ज्यादा होने वाला प्रकार लिम्फोमा है।
लिम्फोमा कैंसर
कैंसर होने की स्थिति में शरीर में रेड ब्लड सेल्स और व्हाइट ब्लड सेल्स बिना किसी जरूरत के ही बढ़ने लगती हैं। ये कैंसर कोशिकाएं धीरे-धीरे शरीर में फैलती रहती हैं और स्वस्थ कोशिकाओं के काम में भी बाधा डालती हैं। शरीर का इम्यून सिस्टम कई लिम्फ नोड्स से मिलकर बना है। ये नोड्स कैंसर कोशिकाओं को जन्म देते हैं, इसके फलस्वरूप कैंसर गले के दूसरे भागों में भी फैलता है। नोड्स शरीर के अधिकांश भाग में पाएं जाते हैं, लेकिन गले में लिम्फ कैंसर होने पर इन्हें गोलाकार आकृति के रूप में देखा और महसूस किया जा सकता है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
दो तरह का लिम्फोमा
लिम्फोमा दो तरह का होता है
– गैर हॉजकिन (Non-Hodgkin) और हॉजकिन (Hodgkin),
इन दोनों ही कैंसरों में अलग-अलग लिम्फोसाइट्स शामिल होते हैं। इसके अलावा इन दोनों लिम्फोमा की ग्रोथ भी अलग-अलग तरह से होती है।
लिम्फोमा, ल्यूकेमिया से पूरी तरह अलग होता है। दोनों ही ब्लड कैंसर का एक रूप हैं, लेकिन जहां लिम्फोमा लिम्फोसाइट्स में होता है, वहीं ल्यूकेमिया बोन मैरो के अंदर स्थित खून बनाने वाली कोशिकाओं के अंदर शुरू होता है।
किन लोगों को लिम्फोमा का खतरा?
1- डॉक्टरों के अनुसार, हॉजकिन लिम्फोमा 15 वर्ष से 40 वर्ष या फिर 55 वर्ष से अधिक की आयु में हो सकता है।
2- जो लोग एचआईवी या एड्स से पीड़ित हैं, या उनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है, उन्हें लिम्फोमा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
3- इसके अलावा अगर परिवार में कोई व्यक्ति लिम्फोमा से पीड़ित रहा है, तो भी यह कैंसर अपनी गिरफ्त में ले सकता है।
लिम्फोमा कैंसर की पूरी जानकारी
लिम्फोमा के लक्षण
लिम्फोमा के लक्षण वैसे तो आसानी से नजर नहीं आते, लेकिन फिर भी कुछ संकेत हैं जिनकी मदद से इसके बारे में आसानी से जाना जा सकता है। जैसे कि:
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- लिम्फ नोड्स में सूजन
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- खांसी और सांस लेने में दिक्कत या सांस का फूलना
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- बुखार
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- रात में सोते वक्त अत्यधिक पसीना आना
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- थकान और अचानक ही वजन कम हो जाना
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- खुजली और जलन होना
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- गले में सूजन आना और गोल उभार दिखाई देना।
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- गले में खराश बने रहना या कान के एक साइड में दर्द होना।
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- अक्सर मुंह या होठों का सुन्न हो जाना।
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- नाक या नकसीर का ब्लॉक होना।
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- जबड़ों के ऊपरी हिस्से में दर्द।
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- आवाज सुनने में परेशानी होना या कान में सनसनाहट होना।
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- किसी चीज को चबाने और निगलने में परेशानी होना।
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- फोड़े के होने पर कई हफ्तों तक ठीक न होना।
(नोट: इनमें से कोई लक्षण दिखे तो हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।)
लिम्फोमा से बचाव के तरीके
तंबाकू का सेवन न करें
विशेषज्ञ बताते हैं कि 22 फीसदी कैंसर तंबाकू के सेवन के कारण होता है, जिनमें से लिम्फोमा एक है। तंबाकू का सेवन न करने से तमाम तरह के कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।
तंबाकू से लिम्फोमा के साथ ही अन्य कई प्रकार के कैंसर होने का खतरा भी बढ़ता है। जैसे फेफड़े, सांस की नली, भोजन नली, ध्वनि यंत्र, मुंह, गुर्दे, पेशाब थैली, पैंक्रियास, पेंट और महिलाओं में सेरविक्स कैंसर आदि। फेफड़े के कैंसर के कुल मामलों में से 70 प्रतिशत मामले तंबाकू के सेवन के कारण होते हैं।
शारीरिक परिश्रम
शारीरिक परिश्रम, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार लेने से भी लिम्फोमा का खतरा कम होता है। मोटापे और असंतुलित आहार का कैंसर से सीधा संबंध है, जैसे सांस नली, गुदा संबंधी, ब्रेस्ट, गुर्दे, आदि के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। संतुलित आहार में फल और हरी सब्जियां भी अवश्य शामिल करनी चाहिए। उसी तरह से ‘रेड’ मांस का अत्यधिक सेवन भी नुकसानदेह हो सकता है। संतुलित आहार और शारीरिक परिश्रम से लिम्फोमा के साथ हृदय रोग होने का खतरा भी कम होता है।
स्वच्छ रहें
लिम्फोमा से बचाव के लिए साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए और वातावरण में फैल रहे प्रदूषण से खुद को बचाने की कोशिश करनी चाहिए।
शराब से दूर रहें
शराब के सेवन से भी लिम्फोमा का खतरा बढ़ता है। शराब और धूम्रपान दोनों करने पर यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यही नहीं मुंह और श्वास नली के 22 फीसदी कैंसर शराब की वजह से होते हैं।
जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव
लिम्फोमा के खतरे को बढ़ाने वाली जीवनशैली से बचें। स्वस्थ्य जीवनशैली को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, साथ ही भरपूर नींद लें। आठ से 10 घंटे की नींद को पर्याप्त माना जाता है। जहां तक संभव हो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कम ही करें और हर समय इनके संपर्क में न रहें।
खान-पान का खयाल रखें
हरी पत्तेदार सब्जियां, चना और फल खाएं। सब्जियों और फलों में फाइबर मौजूद होता है जो रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है, खासतौर पर लिम्फोमा से। साथ ही यह कई प्रकार के कैंसर से भी लड़ने में मददगार होता है। फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, एवोकाडो, गाजर जैसे फल और सब्जियां अवश्य खाएं। शक्कर का सेवन कम ही करें। खाने के लिए तेल का चयन या उपयोग करने से पहले यह जांच लें कि आप जो तेल खाने जा रहे हैं वह स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है। ऑलिव ऑयल या कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल भोजन पकाने में कर सकते हैं। नमक का सेवन भी संतुलित मात्रा में ही करें।
लिंफोमा के उपचार
यह उपचार उस लिम्फोमा के प्रकार पर निर्भर करता है जिसमें एक है और कैंसर फैल गया है. गैर-हॉजकिन लिंफोमा के उपचार –
केमोथेरेपी जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए कुछ दवाओं का उपयोग करती है.
विकिरण चिकित्सा कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग करती है.
इम्यूनोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करता है.
हॉजकिन लिंफोमा के लिए सामान्य उपचार हैं:
कीमोथेरपी
रेडिएशन थेरेपी
पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों जैसे एक्यूप्रेशर और आयुर्वेद को कैंसर से राहत लाने के लिए पूरक प्रणालियों के रूप में उपयोग किया जाता है.
कपड़ों का उपयोग लिम्फैमा से प्रभावित लिम्फ नोड्स को निकालने के लिए किया जाता है.
त्रिफला, शरीर में लिम्फोमा कोशिकाओं पर अपनी जानलेवा प्रभाव को समझने के लिए एक आम आयुर्वेदिक उपाय की जांच की जा रही है. यह पशु अध्ययनों में ‘रिग्रेस’ ट्यूमर के लिए भी देखा गया है. इसलिए, त्रिफला एक शक्तिशाली विरोधी कैंसर आयुर्वेदिक दवा है.
आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं का उपयोग रोगी की लसीका प्रणाली के इलाज के लिए किया जाता है, ताकि यह सामान्य कोशिकाओं का उत्पादन करें. आयुर्वेदिक पंच टिकटा ग्रेट लसीका तंत्र को शांत कर सकते हैं जबकि अन्य जड़ी-बूटियां प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती हैं और सूजन को कम करती हैं.
त्वरित सुझाव
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- हरे रंग की चाय को कैटिंस कहा जाता है, जो कि एंटीकैंसर गुण हैं.
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- हल्दी से निकाले गए कर्क्यूमिन भी मानव लिंफोमा कोशिकाओं को मारने में सक्षम है. यह सामान्य कोशिकाओं की
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- रक्षा करते समय कैंसर के खिलाफ कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का काम बेहतर बनाता है.
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- मिस्टलेटो निकालने भी एक शक्तिशाली प्रतिरक्षा-मॉडुलक है.
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- गाजर और ब्रोकोली में कैंसर से पीड़ित व्यक्ति के आहार में शामिल होने के कई फायदे भी दिखाए जाते हैं.
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- बीटा कैरोटीन में समृद्ध खाद्य पदार्थ जिसका मतलब है कि सब्जियों और विभिन्न रंगों के फल में उच्च एंटीऑक्सीडेंट सामग्री है जो चिकित्सा का समर्थन करती है.
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- चेवन प्राशा केमोथेरेपी के दौरान बहुत उपयोगी है. लेकिन चीनी से बचना चाहिए.
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- यदि आपके पास कोई प्रश्न है तो आप एक विशेषज्ञ से परामर्श कर सकते हैं.