वरदविनायक मंदिर महड
Varad Vinayak Mahad Ganpati
वरदविनायक मंदिर हिन्दू दैवत गणेश के अष्टविनायको में से एक है। यह मंदिर भारत में महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के कर्जत और खोपोली के पास खालापुर तालुका के महड गाँव में स्थित है। इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की मूर्ति को स्वयंभू कहा जाता है।
कहा जाता है की इस वरदविनायक मंदिर का निर्माण 1725 में सूबेदार रामजी महादेव बिवलकर ने करवाया था। मंदिर का परिसर सुंदर तालाब के एक तरफ बना हुआ है। 1892 से महड वरदविनायक मंदिर का लैंप लगातार जल रहा है।
पूर्वी मुख में बना यह अष्टविनायक मंदिर काफी प्रसिद्ध है और यहाँ पर हमें रिद्धि और सिद्धि की मूर्तियाँ भी देखने मिलती है।
मंदिर के चारो तरह हांथी की प्रतिमाओ को उकेरा गया है। मंदिर का डोम भीस्वर्ण शिखर के साथ 25 फीट ऊँचा है। मंदिर के उत्तरी भाग पर गौमुख देखने मिलता है, जो पवित्र नदी के बहाव के साथ बहता है। मंदिर के पश्चिमी भाग में एक पवित्र तालाब बना हुआ है।
इस मंदिर में मुशिका, नवग्रह देवता और शिवलिंग की भी मूर्तियाँ है।
इस अष्टविनायक मंदिर में श्रद्धालु गर्भगृह में भी आ सकते है और वहा वे शांति से भगवान को श्रद्धा अर्पण करते है और उनकी भक्ति में तल्लीन हो जाते है।
साल भर हजारो श्रद्धालु वरदविनायक मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए आते है। माघ चतुर्थी जैसे पर्वो के दिन मंदिर में लाखो लोग हमें दिखाई देते है।
मंदिर से जुड़ी कहानी
पौराणिक कथाआें के अनुसार प्राचीन काल में एक संतानहीन राजा था। अपने दुख के निवारण के लिए वो ऋषि विश्वामित्र की शरण में गया आैर सलाह मांगी। ऋषि ने उसे श्री गणेश के एकाक्षरी मंत्र का जाप करने के लिए कहा। राजा ने एेसा ही किया आैर भक्ति भाव गजानन की पूजा करते हुए उनके मंत्र का जाप किया। मंत्र के प्रभाव आैर गणपति के आर्शिवाद से उसका रुक्मांगद नाम का सुंदर पुत्र हुआ जो अत्यंत धर्मनिष्ठ भी था। युवा होने पर एक बार शिकार के दौरान जंगल में घूमते हुए रुक्मांगद, ऋषि वाचक्नवी के आश्रम में पहुंचा। यहां ऋषि की पत्नी मुकुंदा राजकुमार के पुरुषोचित सौंदर्य को देख कर उस पर मोहित हो गर्इ आैर उससे प्रणय याचना की। धर्म के मार्ग पर चलने वाले रुक्मांगद ने इसे अस्वीकार कर दिया आैर तुरंत आश्रम से चला गया। दूसरी आेर ऋषि पत्नी उसके प्रेम में पागल जैसी हो गर्इ। उसकी अवस्था के बारे में जान कर देवराज इंद्र ने इसका लाभ उठाने के लिए रुक्मांगद का भेष धारण कर मुकुंदा से प्रेम संबंध बनाये, जिससे वो गर्भवती हो गर्इ। कुछ समय बाद उसने ग्रिसमाद नामक पुत्र को जन्म दिया। युवा होने पर अपने जन्म की कहानी जान कर इस पुत्र ने मुकुंदा को श्राप दिया कि वो कांटेदार जंगली बेर की झाड़ी बन जाये। इस पर मुकुंदा ने भी अपने बेटे को श्राप दिया कि वो एक क्रूर राक्षस का पिता बनेगा। उसी समय एक आकाशवाणी से पता चला कि मुंकुदा की संतान का पिता वास्तव में इंद्र है। दोनों माता आैर पुत्र अत्यंत लज्जित हुए आैर मुकुंदा एक कांटेदार झाड़ी में बदल गर्इ जबकि उसका पुत्र पुष्पक वन में जाकर श्री गणेश की तपस्या करने लगा। बाद में प्रसन्न हो गणेश जी ने उसे त्रिलोकविजयी संतान का पिता बनने आैर एक वर मांगने का आर्शिवाद दिया। तब ग्रिसमाद ने कहा कि वे स्वयं यहां विराजमान हों आैर प्रत्येक भक्त की मनोकामना पूर्ण करें। इसके बाद उसने भद्रका नाम से प्रसिद्घ स्थान पर मंदिर का निर्माण किया आैर श्री गणेश यहां वरदविनायक के रूप में प्रतिष्ठित हुए।
List of Ashtavinayak Temples
1. मयूरेश्वर (मोरेश्वर) गणपति, मोरगाँव
2.सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक
3. बल्लालेश्वर गणपति मंदिर, पाली
6. श्री गिरिजात्मज गणेश मंदिर, लेण्याद्री
सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai (अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai महत्ता किसी सिद्ध-पीठ से कम नहीं।)