अष्टविनायक
भगवान गणपति के प्रसिद्ध आठ मंदिर “अष्टविनायक” – Ashtavinayak
अष्टविनायक का मतलब है आठ गणपति। अष्टविनायक यह भगवान गणपति के प्रसिद्ध आठ मंदिर हैं जो महाराष्ट्र में हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र और कोंकण के इन मंदिरों का स्वतंत्र इतिहास है। चूंकि इन सभी मंदिरों में पेशवाओं की शरण थी, इसलिए पेशवा के समय उन्हें महत्व मिले। अष्टविनायक का विवरण मुदगल पुराण में भी पाया जाता है।
महाराष्ट्र के हर गांव में श्री गणेश के एक या दो मंदिर पाए जाते हैं। उन मंदिरों से हजारों भक्तों ने गणपति के हर रूप का अनुभव किया है। ऐसा होने के बावजूद महाराष्ट्र में विशेष ‘आठ’ जगह के गणेश मंदिर, मूर्तियों का विशेष महत्व है।
इन आठ मंदिरों को ‘अष्टविनायक’ कहा जाता है। विनायक गणपति के कई नामों में से एक है; यही कारण है कि ये इन आठ मंदिरों के समूह मतलब अष्टविनायक हैं। महाराष्ट्र के मंदिर न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे भारत में भी जाने जाते है।
गणपति शिक्षा का देवता है, वो सुखकर्ता दुखहर्ता और सभी का रक्षणकर्ता हैं, ऐसी गणेश भक्तों की भावना है।
आठ मंदिरों की तीर्थ यात्रा-List of Ashtavinayak Temples
गणपति के सभी आठ मंदिर उनके विभिन्न रूपों, बाधाओं को दूर करने वाले से लेकर उन्नति और विद्या प्राप्ति के मार्गप्रदर्शक रूप तक का वर्णन करते हैं। प्रत्येक मंदिर अलग है, जबकि प्रत्येक मंदिर में अलौकिक समानता है।
1. मयूरेश्वर (मोरेश्वर) गणपति, मोरगाँव
2.सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक
3. बल्लालेश्वर गणपति मंदिर, पाली
6. श्री गिरिजात्मज गणेश मंदिर, लेण्याद्री
सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai (अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai महत्ता किसी सिद्ध-पीठ से कम नहीं।)