ballaleshwar pali information in hindi-बल्लालेश्वर मंदिर

बल्लालेश्वर मंदिर

ballaleshwar pali information in hindi

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के पाली गांव में भगवान गणेश का प्रसिद्घ मंदिर स्थित है। ये भी यह अष्टविनायक शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर के बारे में खास बात ये है कि यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां श्री गणेश किसी साधारण व्यक्ति जैसे परिधान धोती-कुर्ते में विराजित हैं। कहते हैं विनायक ने यहां पर अपने एक परम भक्त बल्लाल को ब्राह्मण के रूप में एेसे ही वस्त्रों में दर्शन दिये थे। भक्त बल्लाल के नाम पर ही इस मंदिर का नाम बल्लालेश्वर विनायक पड़ा। एक आैर खास बात है कि ये एकमात्र मंदिर है जिसका नाम विघ्नहर्ता के किसी भक्त के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर में भाद्रपद माह की शुक्ल प्रतिपदा से लेकर पंचमी के बीच यहां गणेशोत्सव की धूम रहती है।

मंदिर से जुड़ी कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार पाली गांव में कल्याण आैर इंदुमति नाम के एक सेठ दंपति रहते थे। उनका बल्लाल नाम का इकलौता पुत्र श्री गणेश का परमभक्त था। उसकी भक्ति से सेठ खुश नहीं थे, क्योंकि भक्ति में मग्न उनका बेटा व्यवसाय में कोर्इ विशेष रुचि नहीं लेता था। वह अपने दोस्तों से भी गणपति की भक्ति के लिए कहता। इस बात से परेशान दोस्तों के माता पिता ने सेठ से शिकायत की आैर उसे रोकने के लिए कहा। इस पर कल्याण सेठ गुस्से में बल्लाल को ढूंढने निकले तो वह जंगल गणेश जी की आराधना करते हुए मिला। उन्होंने उसे खूब पीटा आैर गणेश की प्रतिमा खंडित करते हुए दूर फेंक दिया। इसके बाद उसे वहीं जंगल में एक वृक्ष से बांध कर ये कह कर छोड़ गए की भूखे प्यासे रह कर उसकी अक्ल ठिकाने आ जायेगी। सेठ के जाने के बाद बल्लाल की भक्ति से प्रसन्न श्री गणेश उसके समक्ष ब्राह्मण के वेश में प्रकट हुए और उसे बंधन मुक्त कर के वरदान मांगने को कहा। इस पर बल्लाल ने उनसे अपने क्षेत्र में स्थापित होने का अनुरोध किया। श्री गणेश ने उनकी इच्छा पुरी करते हुए स्वयं को एक पाषाण प्रतिमा में स्थापित कर लिया आैर तब उस स्थान पर बल्लाल विनायक मंदिर बनाया गया। साथ ही इसी मंदिर के पास बल्लाल के पिता ने द्वारा फेंकी गर्इ प्रतिमा ढूंडी विनायक के नाम से मौजूद है। आज भी लोग बल्लालेश्वर के दर्शन से पहले ढूण्ढी विनायक की पूजा करते हैं। एक आैर मान्यता के अनुसार त्रेता युग का दण्डकारण्य नाम का स्थान यहीं था आैर यहीं पर आदिशक्ति जगदंबा ने श्री राम को दर्शन दिये थे। यहां से कुछ ही दूरी पर वह स्थान भी बताया जाता है जहां सीताहरण के समय रावण और जटायु में युद्ध हुआ था।

मंदिर का स्थापत्य

इस मंदिर में गणपति की प्रतिमा पत्थर के सिंहासन पर स्थापित है। पूर्व की आेर मुख वाली 3 फीट ऊंची यह प्रतिमा स्वयंभू है आैर इसमें श्री गणेश की सूंड बांई ओर मुड़ी हुई है। प्रतिमा के नेत्रों व नाभि में हीरे जड़े हुए हैं। श्री गणेश के दोनों और रिद्धी-सिद्धी की प्रतिमाएं भी हैं जो चंवर लहरा रही हैं। ढुण्डी विनायक मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा का मुख पश्चिम की तरफ है। बताते हैं कि बल्लालेश्वर का प्राचीन मंदिर काष्ठ का बना था। कालांतर में इसके पुनर्निमाण के समय पाषाण का उपयोग हुआ है। मंदिर के पास दो सरोवर भी हैं। इनमें से एक का जल भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है। कहते हैं कि ऊंचाई से इस मंदिर को देखा जाये तो यह देवनागरी के श्री अक्षर की भांति दिखता है। मंदिर में अंदर और बाहर दो मंडपों का निर्माण किया गया है। बाहरी मंडप 12 आैर अंदर का मंडप 15 फीट ऊंचा है। अंदर के मंडप में बल्लालेश्वर की प्रतिमा स्थापित है। बाहरी मंडप में उनके वाहन मूषक की पंजो में मोदक को दबाये प्रतिमा भी बनी हुई है।

अष्टविनायक मंत्र

List of Ashtavinayak Temples

1. मयूरेश्वर (मोरेश्वर) गणपति, मोरगाँव

2.सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक

3. बल्लालेश्वर गणपति मंदिर, पाली 

4. वरदविनायक मंदिर ,महड

5, चिंतामणि गणपति मंदिर ,थेउर

6. श्री गिरिजात्मज गणेश मंदिर, लेण्याद्री

7. विघ्नेश्वर मंदिर, ओझर

8. रांजणगाव श्री महागणपती

सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai (अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai महत्ता किसी सिद्ध-पीठ से कम नहीं।)

चिंचवड के मोरया गोसावी गणपति

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *