गुणकारी हल्दी

 

 

गुणकारी हल्दी

गुणकारी हल्दी गुणों का खजाना है. हल्दी को संस्कृत में हरिद्रा कहते हैं. यह अदरक के परिवार जिंजीबेरेसी (Zingiberaceae) की सदस्य है. गुणकारी हल्दी का वानस्पतिक नाम Curcuma longa (कुरकुमा लोंगा) है. … हल्दी कंद है जिसे बड़ी आसानी से घर पर उगाया जा सकता है. गुणकारी हल्दी का पौधा बहुवार्षिक होता है, यह गर्मी की फसल है लेकिन इसे तेज धूप पसंद नहीं है. हल्दी के पत्ते, तना और कंद सभी का प्रयोग खाने और औषधी बनाने में किया जाता है. नीचे लगी फोटो में हमारे घर पर उगाई गयी हल्दी के पौधे की कुछ अवस्थाएं दिखाई गयी हैं. हम हल्दी के पत्तों, तने और कंद सभी का उपयोग खाने में करते हैं.

यह तो सभी जानते हैं कि विवाह समारोह जैसे शुभ कार्यों में टरमरिक यानी हल्दी का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। वहीं, चोट लगने पर या बीमार होने पर हमारी मां सबसे पहले हल्दी वाला दूध पिलाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि मामूली-सी गुणकारी हल्दी विभिन्न कार्यों में कैसे लाभकारी साबित हो जाती है।

गुणकारी हल्दी क्या है?

यह तो हर कोई जानता है कि सब्जी या दाल बनाते समय गुणकारी हल्दी का प्रयोग करने से भोजन का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही यह सेहत के लिए भी अच्छी है। यही कारण है कि इसे बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि माना गया है। इसका महत्व कितना है, इसका पता इसी बात से चलता है कि अब तक इस पर कई वैज्ञानिक शोध हो चुके हैं।

कई फायदों के साथ-साथ विभिन्न भाषाओं में इसके नाम भी अलग-अलग हैं। हिंदी में इसे गुणकारी हल्दी कहते हैं, तो तेलुगु में पसुपु, तमिल व मलयालम में मंजल, कन्नड़ में अरिसिना व अंग्रेजी में टरमरिक कहते हैं। वहीं, इसका वैज्ञानिक नाम करकुमा लौंगा (हल्दी के पेड़ का नाम) है। मुख्य रूप से इसकी खेती भारत व दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों में होती है। करकुमा लौंगा पौधे की सूखी जड़ को पीसकर हल्दी पाउडर का निर्माण किया जाता है। प्राकृतिक रूप से इसका रंग पीला होता है।

गुणकारी हल्दी क्यों अच्छी है

कई वैज्ञानिक शोधों में टरमरिक यानी हल्दी के फायदों की पुष्टि की गई है। ऑक्सफोर्ड एकेडमिक में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार, हल्दी में करक्यूमिन नामक फिनोलिक यौगिक होता है, जो पैंक्रियास कैंसर को ठीक करने में सक्षम है । वहीं, एक अन्य अध्ययन के अनुसार इस आयुर्वेदिक औषधि में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो डायबिटीज को पनपने से रोक सकते हैं )।
आंकड़ों की बात करें, तो करीब 28 ग्राम हल्दी में 26 प्रतिशत मैग्नीशियम व 16 प्रतिशत आयरन होता है, जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए जरूरी है। गुणकारी हल्दी को फाइबर, पोटैशियम, विटामिन-बी6, विटामिन-सी, एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट का मुख्य स्रोत माना गया है |
टरमरिक का सेवन करने से वसा को पचाना आसान हो जाता है। साथ ही गैस व बदहजमी जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा, हल्दी के प्रयोग से सोरायसिस, कील-मुंहासे व एग्जिमा जैसी समस्याओं को भी हल किया जा सकता है। शरीर में कहीं भी आई सूजन को ठीक करने में हल्दी का कोई मुकाबला नहीं है। साथ ही मस्तिष्क से जुड़ी अल्जाइमर जैसी बीमारी को भी हल्दी के प्रयोग से ठीक किया जा सकता है।

गुणकारी हल्दी के फायदे

1. लिवर को करती है डिटॉक्सीफाई

2. डायबिटीज

3. प्रतिरोधक क्षमता में सुधार

4. कैंसर

5. वजन नियंत्रण व मेटाबॉलिज्म

6. एंटीइंफ्लेमेटरी

7. एंटीऑक्सीडेंट

8. ह्रदय रोग में लाभदायक

9. डाइजेशन

10. मस्तिष्क का स्वास्थ्य

11. प्राकृतिक दर्द निवारक

12. मासिक धर्म में दर्द से राहत

13. अर्थराइटिस

14. प्राकृतिक एंटीसेप्टिक

 

1. लिवर को करती है डिटॉक्सीफाई
हल्दी के औषधीय गुण के रूप में आप इसका इस्तेमाल शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए कर सकते हैं। मेरीलैंड मेडिकल सेंटर यूनिवर्सिटी के अनुसार, करक्यूमिन गाल ब्लैडर यानी पित्त मूत्राशय में बाइल (पित्त) के उत्पादन को बढ़ाता है। लिवर इस बाइल का प्रयोग विषैले जीवाणुओं को बाहर निकालने में करता है। इसके अलावा, बाइल के कारण लिवर में जरूरी सेल्स का निर्माण भी होता है, जो हानिकारक तत्वों को खत्म करने का काम करते हैं। करक्यूमिन की डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया इतनी प्रभावशाली है कि इसका इस्तेमाल मरकरी के संपर्क में आए व्यक्ति का इलाज करने तक में किया जा सकता है ।

2. डायबिटीज
वैज्ञानिकों के अनुसार, करक्यूमिन रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकता है (6)। इससे डायबिटीज से आराम मिल सकता है। एक अन्य शोध के तहत, डाबिटीज के मरीज को करीब नौ महीने तक करक्यूमिन को दवा के रूप में दिया गया। इससे मरीज में सकारात्मक परिणाम नजर आए । इन अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिकों ने माना कि हल्दी के सेवन से टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त मरीज का इम्यून सिस्टम बेहतर हो सकता है। डायबिटीज से ग्रस्त चूहों पर हुए अध्ययन में भी पाया गया कि करक्यूमिन सप्लीमेंट्स के प्रयोग से ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम किया जा सकता है। शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का स्तर बढ़ने से ह्रदय संबंधी रोग भी हो सकते हैं । इस लिहाज से हल्दी खाने के फायदे में डायबिटीज को ठीक करना भी है।

3. प्रतिरोधक क्षमता में सुधार
हल्दी के गुण में इसका प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करना भी शामिल है। हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो प्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर कर सकते हैं। वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि करक्यूमिन ह्रदय रोग व मोटापे का कारण बनने वाले सेल्स को बनने से रोकता है। साथ ही यह प्रतिरोधक प्रणाली को एक्टिव कर टीबी का कारण बनने वाले हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है। हल्दी में करक्यूमिनोइड्स नामक यौगिक भी होता है, जो टी व बी सेल्स (श्वेत रक्त कोशिकाएं) जैसे विभिन्न इम्यून सेल्स की कार्यप्रणाली को बेहतर करता है। इससे प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है ।

4. कैंसर
हल्दी में एंटीकैंसर गुण भी पाए जाते हैं। कई वैज्ञानिक शोधों में भी माना गया है कि कैंसर की रोकधाम में हल्दी का प्रयोग किया जा सकता है । शोध के दौरान पाया गया कि कुछ कैंसर ग्रस्त मरीजों को हल्दी देने से उनके ट्यूमर का आकार छोटा हो गया था। इतना ही नहीं कैंसर को खत्म करने में सक्षम इम्यून सिस्टम में मौजूद केमिकल भी एक्टिव हो जाते हैं। एक चाइनीज अध्ययन के अनुसार, करक्यूमिन ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करने में भी कारगर है )। इसलिए, कैंसर की रोकथाम के लिए हल्दी का उपयोग किया जा सकता है।

5. वजन नियंत्रण व मेटाबॉलिज्म
यह तो आप सभी जानते हैं कि मोटापा कई बीमारियों की जड़ है। इसके कारण न सिर्फ आपकी हड्डियां कमजोर होती हैं, बल्कि शरीर में कई जगह सूजन भी आ जाती है। इससे डायबिटीज व ह्रदय रोग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। वहीं, हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी व अन्य गुण होते हैं, जो इन समस्याओं से आपको राहत दिला सकते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल व उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर सकती है। इन दो परिस्थितियों में भी वजन बढ़ने लगता है। हल्दी के गुण में वजन को नियंत्रित करना भी है।
हल्दी मेटाबॉलिज्म प्रणाली को बेहतर करती है और नए फैट को बनने से रोकती है। इसके अलावा, हल्दी कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी नियंत्रित करती है, जिससे वजन का बढ़ना रुक सकता है। प्रोटीन से भी शरीर का वजन बढ़ता है, ऐसे में हल्दी अधिक प्रोटीन के निर्माण में बाधा पहुंचाती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हल्दी वजन कम करने और मोटापे के कारण होने वाली बीमारियों से बचाने में हमारी मदद करती है । यहां स्पष्ट कर दें कि हल्दी फैट सेल्स को तो कम करती है, लेकिन भूख को किसी तरह से प्रभावित नहीं करती है। इसलिए, हल्दी का प्रयोग पूरी तरह से सुरक्षित है ।
हल्दी शरीर के तापमान को भी नियंत्रित रखती है, जिससे मेटाबॉलिज्म में सुधार हो सकता है। मोटापे के लिए कुछ हद तक लिपिड मेटाबॉलिज्म भी जिम्मेदार होता है, जिसे हल्दी का सेवन कर संतुलित किया जा सकता है ।

6. एंटीइंफ्लेमेटरी
जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन प्रमुख यौगिक है। यह एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है। यह शरीर में आई किसी भी तरह की सूजन को कम कर सकता है। अर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार, गठिया के इलाज में करक्यूमिन का प्रयोग किया जा सकता है। यह प्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर करता है, जिससे जड़ों में आई सूजन कम हो सकती है । यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि हल्दी प्राकृतिक रूप से सूजन का मुकाबला करती है।

7. एंटीऑक्सीडेंट
हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाया जाता है, जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को साफ करने, पेरोक्सीडेशन को रोकने और आयरन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है । हल्दी पाउडर के साथ-साथ इसके तेल में भी एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं )।

वहीं, चूहों पर की गई एक स्टडी के अनुसार, हल्दी डायबिटीज के कारण होने वाले ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को रोकने में सक्षम है । एक अन्य अध्ययन में दावा किया गया है कि करक्यूमिन में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट गुण मनुष्यों की स्मरण शक्ति को बढ़ा सकता है ।

8. ह्रदय रोग में लाभदायक
हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण ह्रदय को विभिन्न रोगों से बचाए रखते हैं, खासकर जो डायबिटीज से ग्रस्त हैं। हल्दी का मुख्य यौगिक करक्यूमिन खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है। इससे ह्रदय को स्वथ्य बनाए रखने में मदद मिलती है ।

मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी ने भी अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि करक्यूमिन धमनियों में रक्त के थक्के बनने नहीं देता, जिससे खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। इससे ह्रदय अच्छी तरह काम कर पाता है ।
एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम से पीड़ित मरीज को करक्यूमिन देने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगा । इसलिए, कहा जा सकता है कि हल्दी के गुण में ह्रदय को स्वस्थ रखना भी शामिल है।

9. डाइजेशन
पेट में गैस कभी भी और किसी को भी हो सकती है। कई बार यह गैस गंभीर रूप ले लेती है, जिस कारण गेस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) का सामना करना पड़ सकता है। इसका इलाज एंटीइंफ्लेमेरी व एंटीऑक्सीडेंट के जरिए किया जा सकता है और हल्दी में ये दोनों ही गुण पाए जाते हैं। हल्दी भोजन नलिका में एसिड के कारण होने वाली संवदेनशीलता को भी कम कर सकती है।
हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को नुकसान होने से बचाते हैं। इसके अलावा, हल्दी बदहजमी के लक्षणों को भी ठीक कर सकती है। साथ ही अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित मरीजों की स्थिति में सुधार हो सकता है । हल्दी के लाभ में बेहतर डाइजेशन भी शामिल है।

10. मस्तिष्क का स्वास्थ्य
आप यह जानकर हैरानी होगी कि हल्दी मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन मस्तिष्क में जरूरी सेल्स के निर्माण में मदद करता है। हल्दी में कुछ अन्य बायोएक्टिव यौगिक भी होते हैं, जो मस्तिष्क में मौजूद न्यूरल स्टीम सेल का करीब 80 प्रतिशत तक विकास कर सकते हैं। हल्दी में मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

हल्दी में करक्यूमिन के अलावा टरमरोन नामक जरूरी घटक भी होता है। यह मस्तिष्क में कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाता है और उनकी मरम्मत भी करता है। साथ ही अल्जाइमर में याददाश्त को कमजोर होने से बचाता है। इस लिहाज से यह अल्जाइमर जैसी बीमारी में कारगर घरेलू उपचार है।

इतना ही नहीं हल्दी के सेवन से मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है। इसके अलावा, अल्जाइमर के बढ़ने की गति धीमी हो जाती है और बाद में यह रोग धीरे-धीरे कम होने लगता है । इस तरह हल्दी के लाभ में मस्तिष्क को स्वस्थ रखना भी है।

11. प्राकृतिक दर्द निवारक
भारत में सदियों से हल्दी को प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। चोट लगने पर हल्दी को लेप के रूप में लगाया जाता है। वहीं, दूध में हल्दी मिक्स करके पीने से न सिर्फ दर्द कम होता है, बल्कि यह एंटीसेप्टिक का काम भी करता है। हल्दी किसी भी दर्द निवारक दवा से ज्यादा कारगर है। इसके अलावा, हल्दी में पाए जाने वाले यौगिक करक्यूमिन से तैयार किए गए उत्पाद हड्डियों व मांसपेशियों में होने वाले दर्द से राहत दिला सकते हैं। साथ ही हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो किसी भी तरह के दर्द व सूजन से राहत दिला सकते हैं। यही कारण है कि गठिया रोग से पीड़ित मरीजों को हल्दी का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है )। इस प्रकार प्राकृतिक दर्द निवारक दवा के रूप में हल्दी का उपयोग किया जा सकता है।

12. मासिक धर्म में दर्द से राहत
कई महिलाओं को मासिक धर्म के समय अधिक दर्द व पेट में ऐंठन का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए आप हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ईरान में हुए एक शोध के अनुसार, करक्यूमिन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं को कम कर सकता है। भारत व चीन में प्राचीन काल से इसका उपयोग मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए किया जा रहा है । इस दौरान हल्दी वाला दूध या फिर हल्दी और अदरक की चाय पीने से फायदा हो सकता है। हल्दी खाने के फायदे में मासिक धर्म में होने वाले दर्द से राहत पाना भी है।

13. अर्थराइटिस
जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि हल्दी किसी भी तरह की सूजन को कम कर सकती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसके प्रयोग से अर्थराइटिस के कारण जोड़ों में आई सूजन व दर्द से राहत मिलती है। एंटीऑक्सीडेंट शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को नष्ट कर देते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं । इसलिए, हल्दी के उपयोग में अर्थराइटिस को ठीक करना भी शामिल है।

14. प्राकृतिक एंटीसेप्टिक
हल्दी में एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो ई. कोली, स्टैफीलोकोकक्स ऑरियस और साल्मोनेला टाइफी जैसे कई तरह के बैक्टीरिया से बचाते हैं । एक अन्य अध्ययन में साबित किया गया है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिनोइड्स आठ तरह के बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सकता है। इतना ही नहीं, यह कई तरह के फंगस और वायरस से भी बचाता है । इसके अलावा, हल्दी दांत दर्द में भी इलाज कर सकती है ।

15. खांसी
हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल व एंटीवायरल गुण होते हैं, जो इसे खास बनाते हैं। आयुर्वेद में भी इसे गुणकारी औषधि माना गया है। यह बैक्टीरिया और वायरल के कारण होने वाली बीमारियों पर प्रभावी तरीके से काम करती है। हल्दी के एंटीइंफ्लेमेटरी गुण न सिर्फ चेस्ट कंजेशन से बचाते हैं, बल्कि पुरानी से पुरानी खांसी को भी ठीक कर सकते हैं। आप खांसी होने पर हल्दी वाले दूध का सेवन कर सकते हैं । इस प्रकार कहा जा सकता है कि हल्दी के उपयोग में खांसी को ठीक करना भी शामिल है।

त्वचा के लिए गुणकारी हल्दी के फायदे

 

कील-मुंहासों के लिए

हल्दी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या को ठीक कर सकते हैं। यहां तक कि कील-मुंहासों का इलाज भी हल्दी से किया जा सकता है। यही कारण है कि भारत में सदियों से शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन को हल्दी का उबटन लगाया जाता है। यह दाग-धब्बों को हल्का कर त्वचा को जवां और निखरा हुआ बनाती है। हल्दी कील-मुंहासों के कारण चेहरे पर आई सूजन व लाल निशानों को कम कर सकती है । इस प्रकार कील-मुंहासों के लिए हल्दी का उपयोग किया जा सकता है।

सामग्री :
एक से दो चम्मच हल्दी पाउडर
आधा नींबू

बनाने की विधि :
नींबू के रस में हल्दी पाउडर को मिक्स करके अच्छी तरह पेस्ट बना लें।
फिर इसे चेहरे पर लगाकर करीब 30 मिनट के लिए सूखने दें।
जब यह सूख जाए, तो पानी से इसे धो लें।

कब-कब लगाएं :
आप इसे हर दूसरे दिन लगा सकते हैं।

सोरायसिस

त्वचा संबंधी विकारों का उपचार करने में हल्दी कारगर घरेलू उपचार है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सोरायसिस जैसी समस्या को भी ठीक कर सकते हैं। सोरायसिस में त्वचा पर पपड़ी जमने लगती है। इसके अलावा, हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जिस कारण यह सोरायसिस के कारण त्वचा पर हुए जख्मों को जल्द भर सकती है। साथ ही इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है ।

प्रक्रिया नंबर-1

सामग्री :
एक चम्मच हल्दी पाउडर
चार कप पानी
शहद/नींबू (स्वादानुसार)

बनाने की विधि :

हल्दी पाउडर को पानी में मिक्स करके करीब 10 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें।
जब पानी सामान्य हो जाए, तो उसमें जरूरत के अनुसार शहद या नींबू डालकर चाय की तरह पिएं।
कब-कब करें :
आप ऐसा रोज कर सकते हैं।

प्रक्रिया नंबर-2

सामग्री :
तीन-चार चम्मच हल्दी पाउडर
हल्दी से दुगना पानी

बनाने की विधि :
हल्दी पाउडर व पानी को एकसाथ फ्राई पैन में डालकर धीमी आंच पर तब तक उबालें, जब तक कि गाढ़ा पेस्ट न बन जाए।
फिर जब पेस्ट ठंडा हो जाए, तो उसे स्टोर करके रख लें और जरूरत पड़ने पर लगाएं।
कब-कब लगाएं :
आप यह पेस्ट रोजाना प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं।

झुर्रियां

हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को खत्म करने का काम करते हैं। कुछ हद तक ये फ्री रेडिकल्स चेहर पर झुर्रियों का कारण बनते हैं (36)। अगर आप हल्दी को योगर्ट के साथ इस्तेमाल करते हैं, तो झुर्रियों से आपको जल्द फायदा हो सकता है। झुर्रियों के लिए हल्दी का प्रयोग कैसे करना है, हम यहां उसकी विधि बता रहे हैं :

सामग्री :
¼ चम्मच हल्दी पाउडर
एक चम्मच योगर्ट

बनाने की विधि :
हल्दी और योगर्ट को एक बाउल में डालकर मिक्स कर लें।
फिर इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर करीब 20 मिनट के लिए सूखने दें।
इसके बाद पानी से चेहरे को धो लें।

कब-कब लगाएं :
करीब एक महीन तक हफ्ते में दो से तीन बार इस पेस्ट को लगाएं।

सनबर्न

जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि करक्यूमिन में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इन तमाम गुणों के कारण ही करक्यूमिन सनबर्न के कारण प्रभावित हुई त्वचा को ठीक कर सकता है (37)। आगे हम सनबर्न के लिए हल्दी का पेस्ट बनाने की विधि बता रहे हैं :

सामग्री :
एक चम्मच हल्दी पाउडर
एक चम्मच एलोवेरा जेल
एक चम्मच शहद

बनाने की विधि :
इन सभी सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट बना लें।
सनबर्न से प्रभावित जगह पर इस पेस्ट को लगाएं।
करीब 30 मिनट बाद ठंडे पानी से त्वचा को साफ कर लें।

कब-कब लगाएं :
आप इसे हर दूसरे दिन लगा सकते हैं।

स्ट्रेच मार्क्स

हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ त्वचा को साफ कर उसकी रंगत निखारने के गुण भी होते हैं । इसे नियमित रूप से उपयोग करने से प्रेग्नेंसी व प्रेग्नेंसी के बाद नजर आने वाले स्ट्रेच मार्क्स धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। कुछ हफ्तों तक इसे लगातार लगाने से स्ट्रेच मार्क्स खत्म भी हो सकते हैं।

सामग्री :
एक चम्मच हल्दी पाउडर
एक चम्मच योगर्ट

बनाने की विधि :
हल्दी को योगर्ट में मिक्स करके गाढ़ा पेस्ट बना लें।
फिर इसे स्ट्रेच मार्क्स वाली जगह पर लगाएं और 10-15 मिनट के लिए सूखने दें।
सूखने के बाद पानी से साफ कर लें और मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं।

कब-कब लगाएं :
अगर आप इसे हर दूसरे दिन लगाते हैं, तो जल्द अच्छे परिणाम नजर आएंगे।

पिगमेंटेशन

त्वचा में मेलानिन की मात्रा बढ़ने से डार्क स्पॉट व जगह-जगह पैच नजर आने लगते हैं। चिकित्सीय भाषा में इसे पिगमेंटेशन कहा जाता है। हल्दी में पाया जाने वाले करक्यूमिन इन डार्क स्पॉट को हटाकर त्वचा में निखार ला सकता है। वहीं, हल्दी को शहद के साथ मिलाकर प्रयोग करने से त्वचा में मॉइस्चराइजर बना रहता है।

सामग्री :
एक चम्मच हल्दी पाउडर
एक चम्मच शहद

बनाने की विधि :
इन दोनों सामग्रियों को आपस में मिक्स करके पेस्ट तैयार कर लें।
अब इसे प्रभावित जगह पर अच्छी तरह से लगाकर करीब 20 मिनट के लिए छोड़ दें।
जब पेस्ट सूख जाए, तो इसे हल्के गुनगुने पानी से धो लें और बाद में मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं।

कब-कब लगाएं :
इस पेस्ट को प्रतिदिन लगाया जा सकता है।

फटी एड़ियों के लिए गुणकारी हल्दी

हल्दी में एंटीबैक्टीरियल व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिस कारण ये फंगल इंफेक्शन पर प्रभावी तरीके से काम कर सकती है। इसलिए, आप फटी एड़ियों की समस्या के लिए हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं।

सामग्री :
तीन चम्मच हल्दी पाउडर
नारियल तेल की कुछ बूंदें

बनाने की विधि :
हल्दी पाउडर और नारियल तेल को मिक्स करके पेस्ट बना लें।
अब इसे फटी एड़ियों पर लगाकर करीब 30 मिनट के लिए छोड़ दें।

कब-कब लगाएं :
जब तक एड़ियां ठीक न हो जाएं, आप इसे रोज लगा सकते हैं।

एक्सफोलिएटर

हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी के साथ-साथ एक्सफोलिएट गुण भी होता है। चेहरे को एक्सफोलिएट करने के लिए घर में ही हल्दी का फेस पैक बनाया जा सकता है।

सामग्री :
दो चम्मच हल्दी पाउडर
चार चम्मच चने का आटा
चार-पांच चम्मच दूध/पानी

बनाने की विधि :
सबसे पहले तो चेहरे को पानी से अच्छी धोकर सुखा लें।
एक बाउल में सभी सामग्रियों को डालकर मिक्स कर लें, ताकि एक पेस्ट बन जाएं।
अब इस स्क्रब को चेहरे पर लगाएं और हल्के-हल्के हाथों से चेहरे की मालिश करें।
इसके बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें और बाद में मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं।

कब-कब लगाएं :
आप हफ्ते में एक या दो बार प्रयोग कर सकते हैं।

बालों के लिए हल्दीगुणकारी हल्दी के फायदे

 

बालों का झड़ना रोके

अपने एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण हल्दी बालों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है। महिला व पुरुषों दोनों में डाइहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (DHT) नामक हार्मोन पाया जाता है। यह बालों के झड़ने का कारण बनता है। ऐसे में हल्दी का मुख्य यौगिक करक्यूमिन इसके निर्माण में रुकावट पैदा करके बालों को झड़ने से रोक सकता है। हल्दी के जरिए स्कैल्प को जरूरी पोषण मिलता है और बालों को बढ़ने में मदद मिलती है (39)।

सामग्री :
कच्चा दूध (आवश्यकतानुसार)
एक-दो चम्मच हल्दी पाउडर
शहद (आवश्यकतानुसार)

बनाने की विधि :
इन दोनों सामग्रियों को मिक्स करके पेस्ट बना लें।
अब यह पेस्ट बालों व स्कैल्प पर लगाकर हल्के-हल्के हाथों से मालिश करें।
इसे करीब 30 मिनट तक लगा रहने दें और बाद में सल्फेट फ्री शैंपू से धो लें।

कब-कब लगाएं :
इसे हफ्ते में एक या दो बार लगाया जा सकता है।

डैंड्रफ

एंटीसेप्टिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध हल्दी डैंड्रफ से राहत दिला सकती है। साथ ही डैंड्रफ के कारण होने वाली खुजली को भी कम कर सकती है।

सामग्री :
आधा चम्मच हल्दी पाउडर
¼ कप मेथी दाने
आधा कप दूध
दो चम्मच एलोवेरा जेल

बनाने की विधि :
मेथी दानों को रातभर के लिए दूध में डालकर रख दें।
अगली सुबह मेथी दानों को दूध के साथ ही मिक्सी में ग्राइंड कर लें।
फिर इसमें हल्दी और एलोवेरा जेल मिक्स करके पेस्ट बना लें।
अब आप इस पेस्ट को उंगलियों या ब्रश की मदद से स्कैल्प व बालों पर लगाएं।
आप इस पेस्ट को थोड़ा पतला करने के लिए कुछ और दूध मिला सकते हैं।
इस पेस्ट को करीब आधा घंटा लगा रहने दें और बाद में शैंपू व कंडीशनर से धो लें।

कब-कब लगाएं :
आप हफ्ते में एक बार इसे प्रयोग कर सकते हैं।

गुणकारी हल्दी का उपयोग

अगर आप शाम को स्नैक्स के तौर पर उबली हुई सब्जियां खाने के शौकिन हैं, तो उस पर चुटीक भर हल्दी डाल सकते हैं।
आप ग्रीन सलाद पर भी थोड़ी सी हल्दी डाल सकते हैं। इससे सलाद में पौष्टिक तत्व बढ़ सकते हैं।
अगर आप सूप पीते हैं, तो उसमें भी थोड़ी हल्दी मिक्स की जा सकती है।
स्मूदी में भी हल्दी को घोलकर सेवन किया जा सकता है।
हल्दी की चाय भी बना सकते हैं। इसमें स्वाद के लिए आप थोड़ा-सा शहद मिक्स कर सकते हैं।
आप खाना बनाते समय सब्जी या दाल में भी थोड़ी हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं। इससे न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ता है, बल्कि पोषक तत्वों में भी इजाफा होता है।
आजकल विभिन्न हेयर व स्किन केयर प्रोडक्ट्स में भी हल्दी का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही टूथपेस्ट में हल्दी इस्तेमाल की जा रही है।
आर्टिकल के अंतिम हिस्से में हम हल्दी के नुकसान भी जान लेते हैं।

गुणकारी हल्दी के नुकसान –

आपके लिए हल्दी के नुकसान यानी साइड इफेक्टस जानना भी जरूरी है, क्योंकि किसी भी चीज का सेवन जरूरत से ज्यादा या लंबे समय तक करने पर नुकसान भी हो सकता है। साथ ही कुछ चिकित्सीय परिस्थितियों में भी हल्दी न खाने की सलाह दी जाती है।

अगर आपको किडनी स्टोन की समस्या है, तो हल्दी वाले दूध का सेवन न करें। इससे आपकी समस्या और बढ़ सकती है, क्योंकि हल्दी में दो प्रतिशत ऑक्सालेट होता है ।
गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को हल्दी का सेवन करना चाहिए या नहीं, इस बारे में स्पष्ट रूप से कहना मुश्किल है। इसलिए, आप इसका सेवन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
जो मरीज पीलिया से ग्रस्त हैं, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
हल्दी की तासीर गर्म होती है, इसलिए अधिक सेवन करने से पेट में गर्मी, जी-मिचलाना, उल्टी आना व दस्त लगना आदि समस्याएं हो सकती हैं।
हल्दी का सेवन अधिक करने से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है, जिससे एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है।
हल्दी रक्त के थक्कों को धीमा कर सकती है, जिससे रक्तस्राव की समस्या बढ़ जाती है।
हल्दी टेस्टोस्टेरोन के स्तर को असंतुलित कर सकती है, जिससे शुक्राणुओं की संख्या में कमी हो सकती है।
अगर कोई कीमोथेरेपी करवा रहा है, तो उसे भी हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए। इस प्रकार हल्दी के फायदे और नुकसान दोनों हैं।

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