Gandhiji Ke Teen Bandar की कहानी
गांधीजी के 3 बन्दर यानी बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो, यही Gandhiji Ke Teen Bandar के माध्यम से देशवासियों के लिए एक बहुत संदेश था लेकिन जैसे जैसे जमाना बदलता गया गांधीजी के इस विचारधारा को पालन करने वाले बहुत ही कम लोग रह गये है और गांधीजी के द्वारा कही गयी बाते अब सिर्फ किताबी ज्ञान की बाते भर रह गयी है
जरा सोचिये जब हमारा देश आजाद नही था तब गांधीजी का देश में रामराज्य का सपना था यानी समाज का हर तबका खुशहाल और सुखपूर्वक जीवन यापन करे और देश के निर्माण में अपना पूर्णरूप से सहयोग दे लेकिन वर्तमान में महात्मा गांधीजी का यह सपना सपना भर ही रह गया है
ऐसा माना जाता है की जब चीनी प्रतिमंडल महात्मा गांधीजी जी मिलने आया था तब इन्हें भेट स्वरूप 3 बन्दर के खिलौने दिए थे जो की अपने आप में 3 मुद्राए में थे जिससे इनकी मुद्राओ से एक खास संदेश जाता था
1 – बुरा मत देखो
गाँधी का पहला बन्दर जो की अपनी आँखों को हाथो से ढककर बंद किये हुए है उसका यही संदेश जाता है की हमे कभी भी बुरा यानी बुरी चीजे नही देखनी चाहिए
2 – बुरा मत बोलो
गांधीजी के दुसरे बन्दर का अपने मुह पर हाथ रखे हुए यही संदेश जाता है की हमे कभी भी बुरा नही बोलना चाहिए जरा सोचिये आप किसी के प्रति बुरा बोलते है या लड़ते झगड़ते है तो उस समय निश्चित ही आपके शरीर और दिमाग में भी एक बेचैनी और घबराहट सी जरुर होती होगी इसका सीधा सा अर्थ है की हमारा शरीर और दिमाग न तो बुरी बाते सुनना पसंद करता है और न किसी को बुरा कहना पसंद करता है
ऐसे में यदि आप दुसरो से अपने प्रति अच्छा सुनना चाहते है तो हमे खुद दुसरो के लिए मीठा भी बोलना पड़ेगा जैसा की कबीरदास जी ने भी कहा है
“ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करे, आपहुं सीतल होय”
अर्थात हमे दुसरो के प्रति ऐसी वाणी या बोली बोलनी चाहिए जिससे की हमारा मन भी सुद्ध रहे और हमारी वाणी भी दुसरो को मीठी और प्यारी लगे जिससे सुनने वाले के हृदय में भी आपके लिए सम्मान की भावना बढे
3 – बुरा मत सुनो
गांधीजी के तीसरे बन्दर का संदेश था की हमे कभी भी बुरा भी नही सुनना चाहिए यानी आपके सामने कोई बुराई करता रहे और आप चुपचाप सुनते रहेगे तो यह भी एक तरह पाप ही है यानी बुराई सुनकर चुप रहना भी एक तरह से बुराई को बढ़ावा देना है गांधीजी के तीन बन्दर
तो देखा आपने गांधीजी ने अपने 3 बंदरो के माध्यम से समाज के लोगो को कितना अच्छा संदेश दिया था
तो आज हम सब कह सकते है बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो, और बुरा मत करो जैसे संदेशो के साथ हमे अपने समाज में आगे बढने की जरूरत है
कब और कहां से आए Gandhiji Ke Teen Bandar
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। जब भी बापू का जिक्र होगा, उनसे जुड़े तीन बंदरों की भी बात होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन तीनों बंदरों का नाम बापू के साथ कैसे जुड़ा? माना जाता है कि ये बंदर चीन से बापू तक पहुंचे। दरअसल, देश- विदेश से लोग अक्सर सलाह लेने के लिए महात्मा गांधी के पास आया करते थे।
मिजारू बंदर :
इसने दोनों हाथों से आंखें बंद कर रखी हैं, यानी जो बुरा नहीं देखता।
किकाजारू बंदर :
इसने दोनों हाथों से कान बंद कर रखे हैं, यानी जो बुरा नहीं सुनता।
इवाजारू बंदर :
इसने दोनों हाथों स मुंह बंद कर रखा है, यानी जो बुरा नहीं कहता। गांधीजी के तीन बन्दर
चीन से आए ये बंदर
एक दिन चीन का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने आया। बातचीत के बाद उन लोगों ने गांधी जी को एक भेंट देते हुए कहा कि यह एक बच्चे के खिलौने से बड़े तो नहीं हैं लेकिन हमारे देश में बहुत ही मशहूर हैं। गांधी जी ने तीन बंदरों के सेट को देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने इसे अपने पास रख लिया और जिंदगी भर संभाल कर रखा। इस तरह ये तीन बंदर उनके नाम के साथ हमेशा के लिए जुड़ गए। माना जाता है कि ये बंदर बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न बोलो के सिद्धांतों को दर्शाते हैं।
जापान से भी नाता
गांधीजी के इन तीन बंदरों को जापानी संस्कृति से भी जोड़ा जाता है। 1617 में जापान के निक्को स्थित तोगोशु की समाधि पर यही तीनों बंदर बने हुए हैं। माना जाता है कि ये बंदर चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस के थे और आठवीं शताब्दी में ये चीन से जापान पहुंचे। उस वक्त जापान में शिंटो संप्रदाय का बोलबाला था। शिंटो संप्रदाय में बंदरों को काफी सम्मान दिया जाता है। जापान में इन्हें ‘बुद्धिमान बंदर’ माना जाता है और इन्हें यूनेस्को ने अपनी वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया है। वैसे, इन तीन बंदरों के प्यार से नाम भी हैं।
बापू के | कविता
गाँधीजी के बन्दर तीन,
सीख हमें देते अनमोल ।
बुरा दिखे तो दो मत ध्यान,
बुरी बात पर दो मत कान,
कभी न बोलो कड़वे बोल ।
याद रखोगे यदि यह बात ,
कभी नहीं खाओगे मात,
कभी न होगे डाँवाडोल ।
गाँधीजी के बन्दर तीन,
सीख हमें देते अनमोल ।