सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक
सिद्धटेक में भीमा नदी के तट पर बसा Siddhivinayak Temple – सिद्धिविनायक मंदिर अष्टविनायको में से एक है। अष्टविनायको में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, पारंपरिक रूप से जिस मूर्ति की सूंढ़ दाहिनी तरफ होती है, उसे सिद्धि-विनायक कहा जाता है।
धार्मिक महत्त्व:
भगवान गणेश के अष्टविनायक मंदिरों में प्रथम मंदिर मोरगांव के बाद सिद्धटेक का नंबर आता है। लेकिन श्रद्धालु अक्सर मोरगांव और थेउर के दर्शन कर बाद सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन करते है।
यहाँ पर बने भगवान गणेश की मूर्ति की सूंढ़ दाईं तरफ मुड़ी हुई है और इसी वजह से भगवान गणेश की इस मूर्ति को काफी शक्तिशाली माना जाता है, लेकिन भगवान गणेश की इस मूर्ति को खुश करना काफी मुश्किल है।
भगवान गणेश के अष्टविनायको में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ भगवान गणेश के मूर्ति की सूंढ़ दाईं तरफ मुड़ी हुई है। पारंपरिक रूप से जिस मूर्ति की सूंढ़ दाहिनी तरफ होती है, उसे सिद्धि-विनायक कहा जाता है। इस मंदिर परिसर को जागृतक्षेत्र भी कहा जाता है, जहाँ के देवता को काफी शक्तिशाली माना जाता है।
मुद्गल पुराण में भी इस मंदिर का उल्लेख किया गया है। ब्रहमांड के रचयिता ब्रह्मा की उत्पत्ति कमल से हुई, जिसकी उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से हुई और भगवान विष्णु योगीन्द्र पर सो रहे थे।
इसके बाद जब ब्रह्मा ने ब्रह्माण्ड के निर्माण की शुरुवात की तब विष्णु के कानो के मैल से दो असुर मधु और किताभा की उत्पत्ति हुई।
इसके बाद दोनों असुरो ने ब्रह्मा की प्रक्रिया में बाधा डाली। इस घटना ने भगवान विष्णु को जागने पर मजबूर कर दिया। विष्णु ने भी युद्ध की शुरुवात कर दी, लेकिन वे उन्हें पराजित नही कर पा रहे थे। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव से इसका कारण पूछा।
शिवजी ने विष्णु को बताया की शुभ कार्य से पहले पूजे जाने वाले शुरुवात के देवता – गणेश को वे आव्हान करना भूल गये और इसीलिए वे असुरो को पराजित नही कर पा रहे है।
इसके बाद भगवान विष्णु सिद्धटेक में ही तपस्या करने लगे और “ॐ श्री गणेशाय नमः” मंत्र का जाप कर उन्होंने भगवान गणेश को खुश कर दिया। मंत्रोच्चार से खुश होकर भगवान गणेश ने भी खुश होकर विष्णु को बहुत सी सिद्धियाँ प्रदान की और युद्ध में लौटकर असुरो का अंत किया। यहाँ विष्णु ने सिद्धियाँ हासिल की उसी जगह को आज सिद्धटेक के नाम से जाना जाता है।
इतिहास:
वास्तविक मंदिर का निर्माण विष्णु ने किया था, जबकि समय-समय पर इसे नष्ट भी किया गया था। कहा जाता है की बाद में चरवाहों ने सिद्धिविनायक मंदिर की खोज की थी। चरवाहे रोजाना मंदिर के मुख्य देवता की पूजा-अर्चना करते थे।
वर्तमान मंदिर का निर्माण 18 वी शताब्दी में इंदौर की दार्शनिक रानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था और इसके साथ-साथ उन्होंने बहुत से हिन्दू मंदिरों की अवस्था में भी सुधार किया।
पेशवा शासको के अधिकारी सरदार हरिपंत फडके ने नगरखाने और मार्ग का निर्माण करवाया। मंदिर के बाहरी सभा मंडप का निर्माण बड़ोदा के जमींदार मिरल ने करवाया था। 1939 में टूटे हुए इस मंदिर का पुनर्निर्माण 1970 में किया गया।
फ़िलहाल यह मंदिर चिंचवड देवस्थान ट्रस्ट के शासन प्रबंध में है, जो मोरगांव और थेउर अष्टविनायक मंदिर पर भी नियंत्रण कर रहे है।
स्थान:
यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कर्जा तालुका के सिद्धटेक में भीमा नदी के तट पर स्थित है। मंदिर का सबसे करीबी स्टेशन दौंड (19 किलोमीटर) है।
यह मंदिर पुणे जिले के शिरपुर गाँव से भी जुड़ा हुआ है, जहाँ नदी के दक्षिणी तट पर हम जहाज की सहायता से भी जा सकते है। यहाँ पहुचने के लिए एक रास्ता है जो दौड़-कस्ती-पाडगांव, शिरूर-श्रीगोंडा-सिद्धटेक, कर्जत-रसहीन-सिद्धटेक से होकर गुजरता है, जो 48 किलोमीटर लंबा है।
यह मंदिर छोटी पहाड़ी पर बना हुआ जो और साथ ही चारो तरफ से बाबुल के पेड़ो से घिरा हुआ है और सिद्धटेक गाँव से 1 किलोमीटर दूर स्थित है।
देवता को संतुष्ट करने के लिए श्रद्धालु छोटी पहाड़ी की सांत प्रदक्षिणा लगाते थे। वहा कोई पक्की सड़क ना होने के बावजूद लोग भगवान को खुश करने के लिए पत्थरो से भरी कच्ची सड़को पर प्रदक्षिणा लगाते है।
उत्सव:
मंदिर में तीन मुख्य उत्सव मनाए जाते है। गणेश प्रकटोत्सव, जो गणेश चतुर्थी के समय मनाया जाता है। यह उत्सव हिन्दू माह भाद्रपद के पहले दिन से सांतवे दिन तक मनाया जाता है, जिनमें से चौथे दिन गणेश चतुर्थी आती है।
इस उत्सव पर मेले का भी आयोजन किया जाता है। इसके बाद भगवान गणेश के जन्मदिन को समर्पित माघोत्सव (गणेश जयंती) समाया जाता है, जो हिंदी माघ महीने के चौथे दिन मनाया जाता है।
इस उत्सव को महीने के पहले से आंठवे दिन तक मनाया जाता है। इस उत्सवो के समय भगवान गणेश की पालखी भी निकाली जाती है।
सोमवती अमावस्या और विजयादशमी के दिन यहाँ मेले का भी आयोजन किया जाता है।
List of Ashtavinayak Temples
1. मयूरेश्वर (मोरेश्वर) गणपति, मोरगाँव
2.सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक
3. बल्लालेश्वर गणपति मंदिर, पाली
6. श्री गिरिजात्मज गणेश मंदिर, लेण्याद्री
सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai (अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai महत्ता किसी सिद्ध-पीठ से कम नहीं।)