शरारती रिंकू shararati Rinku Story
Shararati Rinku Story for kids
रिंकू स्कूल से वापिस लौटा ही था कि उसकी मम्मी ने उसे बुलाकर खूब डांटा। shararati Rinku Story पास वाली आंटी ने उन्हें बताया था कि कल रिंकू ने उनके बेटे के हवाई जहाज़ वाले खिलोने को तोड़ दया था। रिंकू की माँ भी उसकी इस आदत से तंग आ चुकी थी। आए दिन कोई न कोई उसकी शिकायत ले उनके पास पहुँच जाता। मगर रिंकू था कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा था।
रिंकू को एक बुरी आदत थी। जब भी किसी दुसरे बच्चे के पास कोई खिलौना देखता वो उसे तोड़ देता। माँ को कई बार तो तोड़े गए खिलोने के पैसे तक देने पड़ते थे। माँ ने उसे कई बार समझाया कि किसी दिन कोई बड़ी चीज तोड़ देगा तो उसके पैसे मैं कहाँ से चूका पाऊँगी।
मगर दूसरों के खिलोने तोड़ना मानो रिंकू की आदत सी बन गयी थी। तोड़ने फोड़ने में उसे मजा आता था। ये उसका मनोरंजन था।
कुछ दिनों बाद रिंकू के पापा अपना दौरा ख़तम कर वापिस आ गए। तब उसकी मम्मी ने उसके पापा से उसकी खूब शिकायत की। यह भी बताया कि कैसे कई बार तो टूटे खिलोने के पैसे तक देने पड़े।
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रिंकू के पापा ने एक दिन उसे अपने कमरे में बुलाया और उसके हफ्ते के जेब खर्च के 50 रूपए देकर बोले ” यह तुम्हारा इस हफ्ते का जेब खर्च।” रिंकू बहुत खुश हुआ। तभी पापा ने उसे कहा ” 50 मिले हैं, जाओ इसमें से 10 रुपए का कोई भी अपनी पसंद का खिलौना बाजार से ले आयो।”
रिंकू दौड़ा दौड़ा गया और अपनी पसंद की एक खिलोने वाली कार ले आया और उस से खेलने लगा। कुछ देर बाद उसके पापा ने उससे एक गिलास पानी माँगा। रिंकू अपनी कार छोड़ पानी लेने रसोई में गया और पानी का गिलास ले वापिस आया।
वापिस आकर उसने देखा कि उसकी खिलोने वाली कार तो टूटी फूटी जमीन पर पड़ी थी। चिल्ला के बोला ” मेरी कार किसने तोड़ी।” तब पापा ने कहा ” सॉरी, मैं तेरी कार से खेल रहा था कि टूट गयी। तुम ऐसा करो जो 40 रुपए तुम्हारे पास बचे हैं उनमें से एक 10 और खर्च कर दूसरी कार ले आओ।”
Shararati Rinku story रिंकू फिर बज़ार गया और दूसरी कार खरीद लाया। नयी कार से खेलते हुए वो पहली वाली कार के टूटने को भूल गया।
रात को खाना खा जब सोने का वक़्त आया तो रिंकू ने देखा कि उसकी दूसरी कार भी टूटी पड़ी थी। पापा से पुछा तो जवाब मिला ” अपने खिलोने संभाल कर रक्खा करो, कार नीचे पड़ी थी और उस पर मेरा पैर पड़ गया।”
Shararati Rinku story बहुत दुखी हुआ और रोनी सी सूरत बना सोने चला गया। अगले दिन इतवार था सो चूल जाने की कोई जल्दी नहीं थी। पापा की भी छुट्टी थी। देर तक सोता रहा। जब उठा तो पापा ने दुबारा सॉरी कहा और उसे एक और कार खरीदने को कहा।
रिंकू की जेब में अभी भी 30 रुपए बाकी बचे थे। लेकिन उसे तो पूरा हफ्ता जेब खर्च इन्ही 30 रुपए में चलाना है, यह सोच उसका दूसरी कार खरीदने का मन ना हुआ। कुछ देर बाद पापा ने उसे अपने एक काम से बाजार जाने को कहा। जब वो जाने को ही था कि पापा बोले ” बेटा, आती बार अपनी कार खरीदना ना भूलना।”
रिंकू जब घर लौटा तो उसके हाथ में एक नयी कार थी। मगर जेब में सिर्फ 20 रुपए जिनसे उसे पूरे हफ्ते अपना जेब खर्च चलना था। दिन भर खेलने के बाद उसने नयी कार को संभाल कर अपनी मेज पर रख दिया।
अगले दिन सुबह उठा तो देखा कि नयी कार मेज से गायब थी। उसके दिल को एक झटका सा लगा। इधर उधर देखा पर कार नहीं मिली। उसने मम्मी और पापा से पुछा तो उन्होंने भी कार को ढूंढ़ना शुरू कर दिया। सब ढून्ढ रहे थे तभी पापा ने आवाज लगाई ” अरे, कार तो यहाँ है। ” रिंकू भागता हुआ पापा की तरफ लपका तो कार अपने हाथ में ले आते हुए पापा से जा टकराया। और इस टक्कर में कार फिर नीचे गिर के टूट गयी।
रिंकू तो बस रोने लगा। पापा ने बहुत समझाया कि कार तो हमारी टक्कर की वजह से टूटी है लेकिन Shararati Rinku story कहाँ चुप होने वाला था। बस रट लगाए जा रहा था ” मेरी 3 कार टूट गयी, मेरी 3 कार टूट गयी “
उस दिन तो रिंकू स्कूल भी रोते हुए ही गया। जब घर आया तो मुँह लटका सा था। मम्मी ने पुछा तो ठीक से जवाब भी नहीं दिया। शाम पापा जब घर आए तो उसकी रोनी सूरत देख पूछ लिया “क्या हुआ, इतने उदास क्यों हो। ” तब रिंकू ने कहा ” मेरे पास ना तो खिलोने हैं और ना ही उतने पैसे की और खिलोने खरीद सकूँ। जेब खर्च भी सिर्फ 20 रुपए ही बचा है। “
तब पापा ने उसे अपनी गोद में बिठा समझाया ” तुम्हे अपने खिलोने टूटने पर इतना दुःख हो रहा है, तो सोचो जिनके खिलोने तुम तोड़ते हो उनको भी कितना दुःख होता होगा। उनके भी तो जेब खर्च ख़तम हो जाता होगा अपने लिए नए खिलोने खरीदने में। ”
पापा की ये बात Shararati Rinku story के मन को छु गयी। उसने उसी समय पापा से वादा किया कि अब कभी किसी का खिलौना नहीं तोडूंगा।
कभी कुछ ऐसा नहीं करना चाहिए जिससे किसी का नुक्सान हो।
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