महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि का महत्व
MahaShivaratri in hindi
पुराणों में महाशिवरात्रि (MahaShivaratri in hindi) का सर्वाधिक महत्व बताया गया है. हिन्दू मान्यताओं में साल में आने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है.
महाशिवरात्रि (MahaShivaratri in hindi) हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है. आदि देव महादेव के भक्त साल भर इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं. मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, बेर और भांग चढ़ाने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे महादेव की विशेष कृपा मिलती है. वैसे तो हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि (Shivratri) आती है,
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है| भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है|
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?
MahaShivaratri in hindi
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे. मान्यता है कि शिव जी अग्नि ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हु थे, जिसका न आदि था और न ही अंत. कहते हैं कि इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्णु ने भी वराह रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे.
– एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्पन्न हुए थे. हालांकि 64 में से केवल 12 ज्योर्तिलिंगों के बारे में जानकारी उपलब्ध. इन्हें 12 ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है.
– महाशिवरात्रि की रात को ही भगवान शिव शंकर और माता शक्ति का विवाह संपन्न हुआ था.
अनुष्ठान
गेंदे के फूलों की अनेक प्रकार की मालायें जो शिव को चढ़ाई जाती हैं।
इस अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है। जलाभिषेक : जल से और दुग्धाभिषेक : दूध से। बहुत जल्दी सुबह-सुबह भगवान शिव के मंदिरों पर भक्तों, जवान और बूढ़ों का ताँता लग जाता है वे सभी पारंपरिक शिवलिंग पूजा करने के लिए जाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। भक्त सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों पर स्नान करते हैं जैसे गंगा, या (खजुराहो के शिव सागर में) या किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में। यह शुद्धि के अनुष्ठान हैं, जो सभी हिंदू त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पवित्र स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं, भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मंदिर में पानी का बर्तन ले जाते हैं महिलाओं और पुरुषों दोनों सूर्य, विष्णु और शिव की प्रार्थना करते हैं मंदिरों में घंटी और “शंकर जी की जय” ध्वनि गूंजती है। भक्त शिवलिंग की तीन या सात बार परिक्रमा करते हैं और फिर शिवलिंग पर पानी या दूध भी डालते हैं।
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शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में छह वस्तुओं को अवश्य शामिल करना चाहिए:
MahaShivaratri in hindi
शिव लिंग का पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक। बेर या बेल के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं;
सिंदूर का पेस्ट स्नान के बाद शिव लिंग को लगाया जाता है। यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है;
फल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं;
जलती धूप, धन, उपज (अनाज); दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है; और पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ संतोष अंकन करते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन ये नहीं करना चाहिए
MahaShivaratri in hindi
-शिवजी की पूजा में हल्दी से पूजा करना अच्छा नहीं माना जाता है इसलिए
भूलकर भी शिवरात्रि पर शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए।
-अगर आप चाहते है कि इस शिवरात्रि को भगवान शिव आपके ऊपर विशेष कृपा बरसाएं तो सुबह ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। पूजा के लिए सुबह का समय उपयुक्त होता है। शिवरात्रि के दिन देर से उठना अशुभ माना जाता है।
-शिवजी की पूजा में शास्त्रों द्वारा बताए गए बर्तनों का उपयोग करना चाहिए। पूजा में भूलकर भी लोहे,स्टील और प्लास्टिक के बर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
-शिवरात्रि के दिन पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। इस दिन शांत और शुद्ध मन से शिव-पार्वती की पूजा करना चाहिए।
-शिवरात्रि के दिन कभी भी किसी को कठोर शब्द नहीं कहने चाहिए अन्यथा आपकी पूजा स्वीकार्य नहीं होगी। शिवरात्रि पर इस बात का विशेषतौर पर ध्यान रखना चाहिए घर में किसी सदस्य से या फिर बाहर झगड़ा नहीं करना चाहिए।
-भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाया जाना चाहिए।अक्षत का मतलब होता है अटूट चावल, यह पूर्णता का प्रतीक है। इसलिए शिव जी को अक्षत चढ़ाते समय यह देख लें कि चावल टूटे हुए तो नहीं है।
-शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को यदि प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें।
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