shubham karoti kalyanam

shubham karoti kalyanam

shubham karoti kalyanam यह एक स्त्रोत है जो शाम के समय पढ़ा जाता है या इसका पठन किया जाता है यह बेसिकली इसका पाठ बच्चों से किया जाता है | यह मराठी स्त्रोत है |

शुभं करोति कल्याणम आरोग्यं धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपज्योति नमोsस्तुते ।
दिव्या दिव्या दिपत्कार कानी कुंडले मोतीहार ।
दिव्याला पाहून नमस्कार ॥१॥

दिवा लावला देवांपाशी, उजेड पडला तुळशीपाशी ।
माझा नमस्कार सर्व देवांपाशी ॥२॥

ये गे लक्ष्मी बैस गे बाजे, आमुचे घर तुला सारे ।
तिळाचे तेल कापसाची वात, दिवा जळो मध्यान्हात ।
घरातली इडापिडा बाहेर जावो बाहेरची लक्ष्मी घरात येवो ।
घरच्या सर्वांना उदंड आयुष्य लाभो ॥३॥

दीपज्योति: परब्रह्म दीपज्योति: जनार्दन ।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोsस्तुते ॥४॥

अधिराजा महाराजा वनराजा वनस्पति ।
इष्टदर्शनं इष्टान्नं शत्रूणांच पराभवम्‌ ।
मुले तो ब्रह्मरुपाय मध्ये तो विष्णुरुपिण: ।
अग्रत: शिवरुपाय अश्वत्थाय नमो नम: ॥५॥

shubham karoti kalyanam शुभम् करोति  कब, कैसे और क्यों कहें?

  • घर के बच्चों को रोज शाम को बड़े थोरा के समय भगवान के पास घी का दीपक जलाना चाहिए।
  • और फिर हाथ जोड़कर सच्चे मन से शुभं करोति कहें।
  • ऐसा करने से घर में सुख-शांति आएगी और धन-संपदा बढ़ेगी।

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