Maulana Abul Kalam Azad मौलाना अबुल कलाम आजाद

देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम

व्यक्तिगत परिचय:

 

नाम : मौलाना अबुल कलाम आजाद/ Maulana Abul Kalam Azad
जन्म : 11 नवंबर, 1888
जन्म स्थान : मक्का, Hejaz Vilayet, ओटोमन साम्राज्य (अब सऊदी अरब)
अवसान : 22 फ़रवरी 1958 (69 वर्ष ) दिल्ली, भारत
राष्ट्रीयता: भारतीय
राजनीतिक पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पोस्ट : भारत के शिक्षा मंत्री/ Minister of Education, India (15 August 1947 – 2 February 1958)
पुरस्कार: भारत रत्न, भारत और Chinese Man of India & Superman

मौलाना अबुल कलाम आजाद

 

National Education Day: मौलाना आजाद (Maulana Azad) का जन्‍म 11 नवंबर 1888 में मक्‍का में हुआ था. उनके पिता का नाम मोहम्‍मद खैरुद्दीन था, जो एक मुस्लिम विद्वान थे.

National Education Day is an annual observance in India to commemorate the birth anniversary of Maulana Abul Kalam Azad, the first education minister of independent India, who served from 15 August 1947 until 2 February 1958. National Education Day of India is celebrated on 11 November every year.

भाारत में हर साल 11 नवंबर को राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) मनाया जाता है. यह दिवस आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलान अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) के जन्‍मदिन के उपलक्ष्‍य में मनाया जाता है. आपको बता दें कि मानव संसाधान मंत्रालय ने 11 नवंबर 2008 को ऐलान किया था कि हर साल 11 नवंबर को राष्‍ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाएगा.

शिक्षा दिवस के मौके पर भारत शिक्षा के क्षेत्र में अबुल कलाम कलाम द्वारा किए गए कार्यों को याद करता है. मौलाना अबुल कलाम का मानना था कि स्कूल प्रोयगशालाएं हैं जहां भावी नागरिकों का उत्पादन किया जाता है.
इस दिन, शिक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने और प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर बनाने हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने साल 2008 में मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाने की घोषणा की.

भारत के पहले शिक्षा मंत्री

 

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे. उन्होंने भारत की आज़ादी के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की. मौलाना आज़ाद, 35 वर्ष की उम्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे. वे उर्दू में कविताएँ भी लिखते थे. लोग उन्हें कलम के योद्धा के रूप में भी जानते हैं. उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना की और देश में मुफ्त शिक्षा के लिए भी काम किया.

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बारे में

 

• मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे. वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे.

 

• वे महात्मा गांधी के सिद्धांतो का समर्थन करते थे. वे आजादी के बाद भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से साल 1952 में सांसद चुने गए.

 

• उन्होंने बचपन से शिक्षा को अपने जीवन का श्रेय बनाया था.

 

• उन्होंने केवल तेरह साल की उम्र में अपनी शिक्षा पूर्ण करके अपने से बडी कक्षा व उम्र के विद्यार्थियों को पढ़ाना प्रारम्भ किया.

 

• उन्होंने ना केवल महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया बल्कि 14 साल की आयु तक सभी बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने की भी वकालत की थी.

 

• उन्होंने इसके अतिरिक्त प्राथमिक शिक्षा के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा की ओर भी सबका ध्यान आकर्षित करवाया.

मौलाना अबुल कलाम आजाद के बारे में 7 बातें

 

1. मौलाना सैयद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैन आजाद को पूरी दुनिया मौलाना आजाद के नाम से जानती है. वह भारतीय मुस्लिम विद्वान और स्‍वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेताओं में से एक थे.

 

2. मौलाना आजाद का जन्‍म 11 नवंबर 1888 में मक्‍का में हुआ था. उनके पिता का नाम मोहम्‍मद खैरुद्दीन था, जो एक मुस्लिम विद्वान थे.

 

3. वह आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने.

 

4. आजाद भारत के शिक्षा मंत्री रहते हुए मौलाना आजाद ने राष्‍ट्रीय शिक्षा प्रणाली बनाई. मुफ्त प्राथमिक शिक्षा उनका मुख्‍य उद्देश्‍य था.

 

5. इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍लोनॉजी (IIT) और विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्‍थापना का श्रेय मौलाना आजाद को ही जाता है.

 

6. उन्‍होंने शिक्षा और संस्‍कृति के विकास के लिए संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) और ललितकला अकादमी (1954) जैसे उत्‍कृष्‍ट संस्‍थानों की भी स्‍थापना की.

 

7. शिक्षा के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान के लिए मौलाना आजाद को मरणोपरांत साल 1922 में भारत के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

मौलाना अबुल कलाम आजाद के अनमोल वचन

 

1. दिल से दी गयी शिक्षा समाज में क्रांति ला सकता है।

 

2. बहुत सारे लोग पेड़ लगाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ को ही उसका फल मिलता है।

 

3. तब से अभी तक पूरे ग्यारह सौ साल बीत चुके हैं. भारत की जमीं पर जितना बड़ा हिंदु धर्म है, उतना बड़ा ही इस्लाम धर्म भी है. यदि हिंदू धर्म कई हजारों सालों से यहाँ के लोगों का धर्म रहा है तो इस्लाम भी यहाँ एक हजार साल से लोगों का धर्म रहा है. जैसे एक हिंदू गर्व के साथ कह सकता है कि वह एक भारतीय है और हिंदू धर्म का अनुसरण करता है, उसी तरह हम भी गर्व से कह सकते हैं कि हम भी भारतीय हैं और इस्लाम का पालन करते हैं. मैं इसे और भी विस्तार में ले जाना चाहता हूँ. एक भारतीय ईसाई उतने ही गर्व से यह कहने का हक़दार है कि वह एक भारतीय है और भारत में वह एक धर्म का पालन कर रहा है, जो ईसाई धर्म है.

 

4. मुझे एक भारतीय होने पर गर्व है। मैं एक अविभाज्य एकता का हिस्सा रहा हूँ जो कि भारतीय राष्ट्रीयता है। मैं इस भव्य संरचना का अपरिहार्य अंग हूँ और मेरे बिना यह शानदार संरचना अधूरा है। मैं एक आवश्यक तत्व हूँ जो भारत का निर्माण के लिए कटिबद्ध है. मैं अपने इस दावा को कभी ख़ारिज नहीं कर सकता.

 

5. हमें एक पल के लिए भी यह नहीं भूलना चाहिए कि हरेक व्यक्ति का यह जन्मसिद्ध अधिकार है कि उसे बुनियादी शिक्षा मिले, बिना इसके वह पूर्ण रूप से एक नागरिक के अधिकार का निर्वहन नहीं कर सकता.

 

6. जिह्वा आधारित शिक्षण से पसीना बहा सकते हैं लेकिन अच्छे काम से मजबूत रह सकते हैं।

 

7. गुलामी अत्यंत बुरा होता है भले ही इसका नाम कितना भी खुबसूरत क्यों न हो.

 

8. अपनी शिक्षा के प्रारंभिक चरण में, एक बच्चे को उसकी अपनी मातृभाषा के माध्यम से निर्देश दिया जाना चाहिए। इसे सरकार ने अपनी नीति के रूप में स्वीकार किया है.

9. अगर एक विशेषता जो आधुनिक भारत को दूसरों से अलग बनाता है, वह लोकतंत्र की भावना का विकास जो अपने सभी नागरिकों को अवसर की समानता प्रदान करता है. पहले के सभी अवरोध जो जन्म, विशेषाधिकार, जाति या धन पर आधारित थे, टूट रहे हैं. एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राज्य के रूप में, हम अवसरों और सभी के लिए अवसर की समानता को विस्तृत करने को प्रतिबद्ध हैं.

 

10. राष्ट्रीय शिक्षा का कोई भी कार्यक्रम उपयुक्त नहीं हो सकता यदि वह समाज के आधे भाग से जुडी शिक्षा पर ध्यान नहीं देता हो – वह है महिलाओं की शिक्षा.

 

11. हमारे बचपन से ही अंग्रेजी भाषा का लगातार उपयोग करना ताकि हम अपने विचार को हमारी मातृभाषा में व्यक्त करने की बजाय उसी भाषा में करने लगें तो यह हमें अराष्ट्रवादी बना देगा. यदि हम पूर्वी लोग बने रहना चाहते हैं, तो हमें उस भाषा का तिरस्कार नहीं करना चाहिए जिसे हमें माँ की गोद में सीखा है… इसे भूलने के लिये, या इससे घृणा करने के लिए … राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण में सबसे मजबूत कारकों में से यह एक है।

 

12. कुरान का उद्देश्य आदमी का ध्यान उनकी शक्ति और ज्ञान के लिए आमंत्रित करना है न कि ब्रह्मांड के निर्माण की एक प्रदर्शनी दिखाना है।

 

13. विज्ञान तटस्थ है। इसके खोजों को चंगा करने और मारने के लिए समान रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। यह उपयोगकर्ता के दृष्टिकोण और मानसिकता पर निर्भर करता है कि विज्ञान का उपयोग पृथ्वी पर एक नया स्वर्ग बनाने के लिए या एक आम अग्निकाण्ड में दुनिया को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जाय।

 

14. कला भावनाओं की एक शिक्षा है और इस तरह वास्तव में राष्ट्रीय शिक्षा की किसी भी योजना में एक अनिवार्य तत्व है। माध्यमिक शिक्षा या विश्वविद्यालयी शिक्षा चाहे जो भी हो, शिक्षा को तबतक पूर्ण नहीं माना जा सकता यदि यह सुंदरता की धारणा के लिए हमारे संकायों को प्रशिक्षित नहीं करता है.

 

15. जो व्यक्ति संगीत से स्पंदित नहीं होता, उसका मन अस्वस्थ और अपूर्ण है, वह आध्यात्मिकता से दूर है और पक्षियों और जानवरों की तुलना में सघन है क्योंकि हर कोई संगीत की मधुर ध्वनियों से प्रभावित होता है.

 

16. भारत नृत्य, नाटक, और संगीत के क्षेत्र में लंबी विरासत और परंपरा पर गर्व किया जा सकता है। ललित कला के क्षेत्र में, दर्शन और विज्ञान की भांति ही, भारत और ग्रीस मानव इतिहास में लगभग एक अद्वितीय स्थान रखते हैं. मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि संगीत के क्षेत्र में भारत की उपलब्धि ग्रीस की तुलना में अधिक है। मुखर और वाद्य संगीत के अपने एकीकरण के रूप में भारतीय संगीत की चौड़ाई और गहराई शायद बेजोड़ है।

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