श्री गिरिजात्मज मंदिर, लेण्याद्री
lenyadri girijatmaj ganpati Temple
गिरिजात्मज मंदिर भगवान गणेश के अष्टविनायको में छठा मंदिर है, जो महाराष्ट्र जिले के पुणे के लेण्याद्री में बना हुआ है। लेण्याद्री एक प्रकार की पर्वत श्रंखला है, जिसे गणेश पहाड़ी भी कहा जाता है।
लेण्याद्री में 30 बुद्धिस्ट गुफाए बनी हुई है। गिरिजात्मज मंदिर, अष्टविनायको में से एकमात्र ऐसा मंदिर है जो पर्वतो पर बना हुआ है, जो 30 गुफाओ में से सांतवी गुफा पर बना हुआ है। भगवान गणेश के आठो मंदिरों को लोग पवित्र मानकर पूजते है।
लेण्याद्री असल में कुकड़ी नदी के उत्तर-पश्चिम तट पर बना हुआ है। यहाँ भगवान गणेश को गिरिजात्मज के रूप में पूजा जाता है। गिरिजा वास्तव में देवी पार्वती और अटमाज (पुत्र) का ही एक नाम है। गणेश पुराण में इस जगह को जिर्णपुर और लेखन पर्बत कहा गया है।
किंवदंतियाँ:
गणपति शास्त्र के अनुसार गणेश मयूरेश्वर के रूप में अवतरित हुए थे, जिनकी छः बांहे और सफ़ेद रंग था। उनका वाहन मोर था। उनका जन्म शिव और पार्वती की संतान के रूप में त्रेतायुग में राक्षस सिंधु को मारने के उद्देश्य से हुआ।
एक बार पार्वती ने ध्यान कर रहे अपने पति शिवजी से कुछ पूछा। लेकिन भगवान शिव ने कहा की वे “पुरे ब्रह्माण्ड के समर्थक – गणेश” का ध्यान लगा रहे है और इसके बाद पार्वती ने भी गणेश मंत्र का उच्चार कर ध्यान लगाने की शुरुवात की। एक पुत्र की इच्छा में पार्वती भी भगवान गणेश की तपस्या में लीन हो गयी।
लगभग 12 साल तक लेण्याद्री पर उन्होंने तपस्या की थी। उनकी तपस्या से खुश होकर गणेशजी खुश हुए और उन्होंने उनके पुत्र के रूप में जन्म लिया।
गिरजात्मज का अर्थ है गिरिजा यानी माता पार्वती के पुत्र गणेश। कहा जाता है की हिन्दू माह भाद्रपद के पखवाड़े की चौथी चन्द्र रात को पार्वती ने भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा की पूजा की थी और उसी में से भगवान गणेश प्रकट हुए थे।
इसीलिए कहा जाता है की देवी पार्वती ने लेण्याद्री पर भगवान गणेश को जन्म दिया। राक्षसी राजा सिंधु जो जानता था की उसकी मौत गणेश के हांथो होनी थी, वह बार-बार दुसरे राक्षस जैसे क्रूर, बालासुर, व्योमासुर, क्षेम्मा, कुशाल और इत्यादि राक्षसों को उन्होंने भगवान गणेश को मारने के लिए भेजा। लेकिन भगवान गणेश को पछाड़ने की बजाए भगवान गणेश ने खुद उनका विनाश कर दिया।
भगवान गणेश को मयूरेश्वर की उपाधि भी दी जाती है। बाद में मयूरेश्वर ने ही राक्षसी दैत्य सिंधु की हत्या की थी, इसीलिए इस मंदिर को भगवान गणेश के अष्टविनायको में सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक माना जाता है।
मंदिर तथा मूर्ति
मंदिर में स्थापित मूर्ति का मुख उत्तर की ओर है। उसकी सूँड़ बायीं ओर है और इसकी पूजा मंदिर के पिछले हिस्से से करते हैं, क्योंकि मंदिर का मुँह दक्षिण दिशा की ओर है। मंदिर की मूर्ति बाकी मूर्तियों के समान नक़्क़ाशीदार नहीं है, इसलिये कूच अलग दिखाई देती है। इस मूर्ति की पूजा कोई भी कर सकता है। मंदिर की बनावट कुछ ऐसी है कि वह पूरे दिन सूर्य के प्रकाश से प्रदीप्त रहता है। माना जाता है माता पार्वती ने गणेशजी को पाने के लिये यहाँ तपस्या की थी। ‘गिरीजा’ (पार्वती) का ‘आत्मज’ (पुत्र) गिरिजात्मज। यह मंदिर बौद्धिक गुफ़ाओं में से आठवीं गुफ़ा में स्थित है। इन गुफ़ाओं को ‘गणेश लेणी’ भी कहा जाता है। मंदिर एक ही चट्टान से बनाया गया है, जिसमें सीढ़ियों की संख्या 307 है। इस मंदिर में एक बड़ा कक्ष भी है, जो बिना किसी स्तंभ आधार के खड़ा हुआ है। यह कक्ष 53 फुट लम्बा और 51 फुट चौड़ा है। इसकी ऊँचाई 7 फुट है।
उत्सव:
• माघ शुद्ध चतुर्थी – जनवरी और फरवरी
• गणेश चतुर्थी और भाद्रपद शुद्ध चतुर्थी – अगस्त और सितम्बर
• विजयादशमी – अक्टूबर
विशेषता:
गिरिजात्मज मंदिर के मुख्य देवता भगवान गिरिजात्मज (गणेशजी) है, जिन्हें देवी गिरिजा का पुत्र भी कहा जाता है। गुफा में बने भगवान गणेश के इस मंदिर में हमें भगवान गणेश की मूर्ति को गुफा की काली दीवारों पर उकेरा गया है।
मंदिर तक पहुचने के लिए हमें 283 सीढियां चढ़नी पड़ती है। मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमाए और साथ ही भगवान गणेश के बालपन, युद्ध और उनके विवाह के चित्र भी बने हुए है।
List of Ashtavinayak Temples
1. मयूरेश्वर (मोरेश्वर) गणपति, मोरगाँव
2.सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक
3. बल्लालेश्वर गणपति मंदिर, पाली
6. श्री गिरिजात्मज गणेश मंदिर, लेण्याद्री
सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai (अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, Mumbai महत्ता किसी सिद्ध-पीठ से कम नहीं।)