सेफ इन्टरनेट बैंकिंग के आठ टिप्स
सेफ इन्टरनेट बैंकिंग
ऐसे कई रास्ते हैं जिनके जरिये धोखाधड़ी करने वाले आपकी व्यक्तिगत जानकारी और सिक्योरिटी डिटेल मांग लेते हैं. हम आपको बता रहे हैं कुछ आम ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के बारे में
ट्रोजन: यह एक इंटरनेट वायरस है जो आपके कंप्यूटर में इंटरेनट यूज करते वक़्त डाउनलोड हो जाता है. एक बार ट्रोजन इनस्टॉल हो जाने के बाद यह आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी पर नज़र रखता है और क्रेडिट कार्ड नंबर या उसके पासवर्ड को चुरा लेता है.
फिशिंग ईमेल: यह किसी बड़ी संस्था के नाम पर भेजा गया फ्रॉड ईमेल होता है. ‘फिशिंग ईमेल में एक मेलवेयर या स्पाई वेयर होता है जो क्लाइंट डीटेल, पासवर्ड और पिन जैसी जरूरी सूचना चुरा लेता है. यह आपके चैनेल के पॉइंट ऑफ़ कांटेक्ट पर भी आपको परेशान कर सकते हैं. चैनेल ऑफ़ कॉन्टेक्ट में एटीएम इन्टरनेट बैंकिंग साइट्स, मोबाइल बैंकिंग एप्प या किसी इ कॉमर्स साईट पर पेमेंट इंटरफेस हो सकता है.’
पैसे जीतने/एक्स्ट्रा इनकम ईमेल स्कैम: यह उन लोगों को टारगेट करने के लिए भेजा जाता है जो जॉब की तलाश में हों, ऑनलाइन कमाई के रास्ते ढूंढ रहे हों या इन्टरनेट के प्रयोग के प्रति जागरूक नहीं हों. इस तरह के मेल में किसी बड़ी कंपनी की वेबसाइट का यूज कर लोगों को आसानी से बड़ी रकम कमाने का ऑफर दिया जाता है. इसमें होम जॉब या छोटे से काम के बदले बड़ी रकम ऑफर की जाती है, जिसमें लोग आसानी से फंस जाएं. इस तरह की धोखाधड़ी करने वाले आपसे एक रकम निवेश करने के लिए कहते हैं, जिससे कि वे इसके बाद आपको बड़ा अमाउंट ट्रांसफर कर सकें. वे आपसे आपके बैंक डिटेल भी मांगते हैं और कहते हैं कि वे इसमें पैसे जमा करा देंगे.इसके बाद पैसे को ट्रांसफर करने की फीस के रूप में वे आपसे एक रकम मांगते हैं और इसे ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं जिससे आप आपराधिक चंगुल में फंस सकते हैं.
इन्टरनेट बैंकिंग के आठ टिप्स
यहाँ हम आपको बता रहे हे की सेफ इन्टरनेट बैंकिंग के आठ टिप्स, जिनकी मदद से आप अपने इंटरनेट बैंकिंग को सेफ बना सकते है
1.हमेशा असली एंटी वायरस सॉफ्वेयर यूज करें
कम्प्यूटर को फिशिंग, मेलवेयर या दूसरे खतरे से बचाने के लिए हमेशा असली एंटी वायरस सॉफ्वेयर यूज करें. एंटी वायरस उन स्पाई वेयर को पहचानने और दूर करने में मदद करता है जो आपकी गोपनीय सूचना में सेंध लगा सकते हैं.
2. पब्लिक वाई-फाई
पब्लिक वाई-फाई के इस्तेमाल से बचें या वीपीएन सॉफ्टवेयर का प्रयोग करें. ओपन वाई-फाई नेटवर्क का सबसे बड़ा खतरा यह है कि हैकर एंड यूजर और हॉट स्पॉट के बीच बैठकर आपके सभी डेटा पर बिना किसी परेशानी के नज़र रख सकता है. अनसिक्योर्ड कनेक्शन को हैकर एक मौके की तरह देखता है, जहां वह आसानी से आपके सिस्टम में मेलवेयर पहुंचा सकता है. इसलिए पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल कर इंटरनेट या मोबाइल बैंकिंग करने या ई-कॉमर्स साईट पर पेमेंट करने से बचें. अगर आप नियमित रूप से इस तरह का नेटवर्क यूज करते हैं तो एक अपने कम्प्यूटर या मोबाइल में वीपीएन सॉफ्टवेयर सेट करें. इससे कम्प्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन के बीच एक सिक्योरिटी स्थापित करने में मदद मिलेगी. इससे हैकर आपके डेटा को आसानी से हैक नहीं कर पायेगा.
3. अपने स्मार्टफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट करें.
स्मार्टफोन यूजर को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिये कि उसका फ़ोन लेटेस्ट सिक्योरिटी पैच और ऑपरेटिंग सिस्टम से लैस है. आपको अपने फोन से किसी भी सिक्योरिटी कंट्रोल हटाना नहीं चाहिए. इसे जेल ब्रेकिंग या रूटिंग कहते हैं. एप डाउनलोड करते समय हमेशा लिमिटेड एक्सेस दें और जो बहुत जरूरी हों, सिर्फ उन्हीं एप को डाउनलोड करें.
4. नियमित रूप से पासवर्ड बदलें और ध्यान रखें कि यह मुश्किल हो.
यह सुनने में ख़राब लग सकता है, लेकिन आपके एकाउंट को सेफ रखने के लिए जरूरी है. इससे आपको एकाउंट को गोपनीय रखने में भी मदद मिलती है. अपने डीटेल्स किसी से भी शेयर न करें. आपका बैंक कभी भी आपसे आपकी बैंकिंग डीटेल्स नहीं पूछता, खास तौर पर ईमेल या फोन से. अगर आपने अपना बैंकिंग पासवर्ड किसी नोटपैड या डायरी पर लिखा हुआ है तो इसे ध्यान से रखें. हमेशा कॉम्प्लिकेटेड पासवर्ड रखें. इंटरनेट बैंकिंग के अलग-अलग चरण के लिए अलग लॉग इन और ट्रांजेक्शन पासवर्ड रखें.
5. मोबाईल नोटिफिकेशन की सुविधा लें
अगर आपने बैंक ट्रांजेक्शन के लिए मोबाईल नोटिफिकेशन की सुविधा नहीं ली है तो तुरंत ले लें. इससे आपको अपने अकाउंट पर नज़र रखने में मदद मिलेगी. सिर्फ ट्रांजेक्शन ही नहीं बैंक आपको लॉग इन में फेल होने के बारे में भी सूचना देते हैं, जिससे किसी संदेह वाली स्थिति में आप अपना पासवर्ड बदल पाएंगे.
6. मेलर्स के जरिये नेट बैंकिंग अकाउंट में लॉग इन न करें.
नेट बैंकिंग के लिए हमेशा बैंक की वेबसाइट पर जाकर ही लॉग इन करें. किसी थर्ड पार्टी वेबसाइट या प्रोमोशनल मेल से नेट बैंकिंग पर जाना खतरनाक हो सकता है. हम पहले भी बता चुके हैं कि बैंक आपसे कभी भी लॉग इन या ट्रांजेक्शन पासवर्ड या पिन नंबर नहीं मांगते. इसलिए अगर आप किसी प्रोमोशनल मेल के जरिये नेट बैंकिंग के लिए बैंक की फ्रॉड वेबसाइट पर पहुंचते हैं, तो आपकी सारी जरूरी सूचना यहां से चुराई जा सकती है. अगर आपको किसी बैंक के ईमेल से भी लॉग इन डीटेल मांगी जाती हैं, तो इसका भी जवाब न दें, यह फ्रॉड हो सकता है.
यह कैसे पता लगता है कि वेब पेज सिक्योर है?
जब आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं तो उसका एड्रेस http से शुरू होता है. अगर यही वेबसाइट सिक्योर कनेक्शन के साथ है तो यह Https से शुरू होता है. इसका मतलब यह है कि आपके ब्राऊजर और वेबसाइट के बीच की सारी गतिविधि सुरक्षित है और यह बैंक की ऑथेंटिक वेबसाइट है. इसके अलावा Https के पहले लॉक का साइन सिक्योर कनेक्शन की पहचान है.
7. नेट बैंकिंग के लिए सायबर कैफे या पब्लिक कम्प्यूटर का यूज न करें.
अगर आप कोई ऐसा कंप्यूटर यूज कर रहे हैं जिसपर आपके बाद कोई और भी बैठता है तो वहां से नेट बैंकिंग न करें. यहां से आपकी बैंकिंग डीटेल चोरी होने का खतरा ज्यादा होता है. अगर ऐसा जरूरी ही हो तो यह सुनिश्चित करें कि ब्राउज़िंग हिस्ट्री और कैशे डिलीट हो जाये. इसके साथ ही कंप्यूटर से सभी टेम्पररी फाइल डिलीट करें. ब्राऊजर पर कभी भी अपनी लॉग इन आईडी और पासवर्ड सेव करने के ऑप्शन पर क्लिक न करें.
8. अपने एकाउंट को रेगुलर चेक करें.
अधिकतर बैंक अपनी वेबसाइट पर लास्ट लॉगइन की डेट बताते हैं. अगर आप कोई ऐसी एक्टिविटी देखें जो आपने नहीं की है तो बैंक को इस बारे में तुरंत सूचित करें. अपना पासवर्ड भी बदल लें. मोबाइल बैंकिंग और एटीएम यूज करते वक़्त ध्यान रखें